Bombay High Court: पुणे के इलियास मोहम्मद गौस मोमिन को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में जाने के कारण पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया था. PFI एक प्रतिबंधित इस्लामिक संगठन है. पासपोर्ट न दिए जाने के बाद इलियास ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. इस मामले में अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को निर्देश जारी किया है कि पुणे के रहने वाले इलियास को नया पासपोर्ट दिया जाए. कोर्ट का कहना है कि पासपोर्ट दो साल के लिए जारी किया जाए. 


मोमिन की तरफ से उनकी वकील तहिरा कुरैशी ने अदालत से 10 साल के लिए पासपोर्ट जारी करने की अपील की थी. पासपोर्ट ऑफिस का दावा था कि मोमिन प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का संस्थापक सदस्य है और उसे पासपोर्ट जारी किए जाने से भारत के कई दूसरे देशों से संबंधों पर असर पड़ सकता है. 52 साल के मोमिन को 2001 के दौरान दंगों से जुड़े 7 मामलों में आरोपी बनाया गया था. हालांकि वो सभी मामलों में बरी हो गए थे. 


27 सितंबर को लगा था PFI पर बैन, 22 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस


इन मामलों की सुनवाई के दौरान भी मोमिन ने कोर्ट के समक्ष पासपोर्ट की एप्लिकेशन दी थी. सभी मामलों में बरी होने के बाद भी जब मोमिन को पासपोर्ट जारी नहीं किया गया तो उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया. मोमिन के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल के खिलाफ एक भी मामला लंबित नही है फिर भी एजेंसी कह रही है कि वो PFI की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पहुंचे थे. मोमिन के वकील आगे बताते हैं कि ये प्रेस कॉन्फ्रेंस 22 सितंबर 2022 को हुई थी और तब इस संगठन पर प्रतिबंध नहीं लगा था. PFI पर 27 सितंबर को प्रतिबंध लगा था. 


बॉम्बे हाई कोर्ट ने दिया पासपोर्ट बनाने का निर्देश


अपर लोक अभियोजक प्राजक्ता शिंदे ने मोमिन की याचिका खारिज करने की वकालत करते हुए कहा कि अगर मोमिन का पासपोर्ट इशु किया जाता है तो वो भारत छोड़ते ही PFI जॉइन कर लेगा. हालांकि जस्टिस रेवती मोहिते और जस्टिस मंजुशा देशपांडे की बेंच ने पुणे के खडक पुलिस स्टेशन को निर्देश दिया कि उनकी पुलिस वैरिफिकेशन रिपोर्ट पासपोर्ट अथॉरिटी को दी जाए ताकि मोमिन का नया पासपोर्ट बनाया जा सके. 


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