Coromandel Train Accident: ओडिशा के बालासोर में दो जून को हुए भीषण रेल हादसे ने अपनों को खोने वालों और इसमें घायल हुए लोगों को कभी न भरने वाले घाव दिए हैं. वहीं इस आपदा ने एनडीआरएफ (NDRF) के बचावकर्मियों को भी मानसिक रूप से प्रभावित किया है. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक अतुल करवाल ने मंगलवार (6 जून) को बताया कि ट्रेन दुर्घटनास्थल पर बचाव अभियान में तैनात बल वहां के हालातों से उबर नहीं पाए है.


बालासोर में तीन ट्रेनों के आपस में टकराने के बाद बचाव अभियान के लिए एनडीआरएफ के नौ दलों को तैनात किया गया था. भारत के सबसे भीषण रेल हादसों में से एक इस दुर्घटना में करीब 288 लोगों की मौत हो गयी और 900 से अधिक लोग घायल हो गए. बचाव अभियान समाप्त होने और पटरियों की मरम्मत के बाद इस मार्ग पर ट्रेनों की आवाजाही शुरू कर दी गई है लेकिन कई पीड़ितों का दावा है कि उनके अपनों का पता नहीं चल पा रहा है.


'बचावकर्मी मानसिक रूप से प्रभावित हुए'


आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, एनडीआरएफ की टीम ने 44 पीड़ितों को बचाया और घटनास्थल से 121 शव बरामद किए. करवाल ने कहा, ‘‘मैं बालासोर ट्रेन हादसे के बाद बचाव अभियान में शामिल अपने कर्मियों से मिला... एक कर्मी ने मुझे बताया कि वह जब भी पानी देखता है तो उसे वह खून की तरह लगता है. एक अन्य बचावकर्मी ने बताया कि इस बचाव अभियान के बाद उसे भूख लगना बंद हो गयी है.’’


करवाल विज्ञान भवन में एनडीआरएफ की ओर से आयोजित आपदा प्रतिक्रिया के लिए क्षमता निर्माण पर वार्षिक सम्मेलन, 2023 को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि हादसा इतना भीषण था कि बोगियां क्षतिग्रस्त हो गयी जिससे कई शव उनके अंदर फंसे रह गए.


काउंसलिंग सत्र का होगा आयोजन


हाल में दुर्घटना स्थल का दौरा करने वाले एनडीआरएफ के महानिदेशक ने कहा कि अपने कुछ कर्मियों की इन समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, बल ने अपने कर्मियों के बचाव एवं राहत अभियान से लौटने पर उनके लिए मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग और मानसिक स्थिरता पाठ्यक्रम शुरू किया है. उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी मानसिक सेहत के वास्ते ऐसी काउंसलिंग हमारे उन कर्मियों के लिए करायी जा रही है जो आपदाग्रस्त इलाकों में बचाव एवं राहत अभियानों में शामिल होते हैं.’’


महानिदेशक ने कहा, ‘‘हमारे कर्मियों को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रहने की जरूरत है इसलिए कई शारीरिक और मानिसक फिटनेस कार्यक्रम शामिल किए गए हैं. बचावकर्ताओं की अच्छी मानसिक सेहत के लिए काउंसलिंग सत्र आयोजित कराए जा रहे हैं.’’


करवाल ने बताया कि हाल में तुर्किये में भूकंप के बाद वहां राहत अभियान से लौटने बचावकर्ताओं के लिए भी ऐसे सत्र आयोजित किए गए थे. उन्होंने कहा कि एनडीआरएफ नियमित काउंसलर की भर्ती करने की प्रक्रिया में भी है. करवाल ने कहा कि पिछले साल से अब तक इस संबंध में कराए विशेष अभ्यास के बाद तकरीबन 18,000 कर्मियों में से 95 प्रतिशत कर्मी ‘फिट’ पाए गए. 


डूबने से होने वाली मौत पर NDRF महानिदेशक


देशभर में डूबने से होने वाली मौत की घटनाओं से निपटने के बारे में भी एनडीआरएफ के महानिदेशक ने अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, ‘‘हमें एनसीआरबी ने बताया कि भारत में डूबने के कारण हर साल औसतन करीब 36,000 लोगों की जान चली जाती है और इन घटनाओं में से करीब दो तिहाई ज्यादातर नहाने के लिए निर्धारित ‘घाटों’ पर हुई.’’करवाल ने कहा कि हम अब इन मौतों को रोकने के लिए कदम उठाने पर काम कर रहे हैं.


गृह राज्य मंत्री ने एनडीआरएफ के कार्यों की प्रशंसा की


सम्मेलन को संबोधित करते हुए गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आपदाओं से निपटने तथा पूर्व चेतावनी विषय पर अति सक्रिय है. उन्होंने कहा कि पिछले नौ वर्ष में प्रधानमंत्री और गृह मंत्री ने यह सुनिश्चित किया है कि न केवल देश में बल्कि जब हमारे बचावकर्ताओं को विदेश भेजा जाता है, तो उन्हें सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने के लिए उचित नीति, योजना, संसाधन और प्रशिक्षण उपलब्ध हो. उन्होंने बालासोर ट्रेन दुर्घटना स्थल तथा तुर्किये में एनडीआरएफ द्वारा किए कार्यों की प्रशंसा की.


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