नई दिल्ली: गुजरात के चुनाव में सभी की नजर आंकड़ों पर थी. फाइनल आंकड़ों के मुताबित बीजेपी ने 99, कांग्रेस ने 80 तो तीन सीद पर अन्य का कब्जा रहा. वोट शेयर की बात करें तो बीजेपी को 49.1 फीसदी और कांग्रेस को 41.5 फीसदी वोट मिले.


ऐसे ही तमाम आंकड़ों के बीच ऐसा आंकड़ा भी आया जिस कम ही लोगों का ध्यान गया. इस आंकड़े का किसी पार्टी से संबंध नहीं है लेकिन ये किसी भी पार्टी की किस्मत बदल सकता है. यह आंकड़ा NOTA यानी None Of The Avobe का है. जब मतदाना को ईवीएम पर कोई उम्मीदवार पसंद नहीं आता तब वो इसका इस्तेमाल करता है.


इस साल गुजरात में 5 लाख 51 हजार मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया है यानी इन्हें बीजेपी-कांग्रेस में कोई पसंद नहीं है. कुल वोट का 1.8 फीसदी नोटा पर पड़ा है यानी गुजरात चुनाव में हर 100 में से 18 वोट नोटा पर पड़े हैं.


15 सीटों पर बीजेपी की हार के अंतर से ज्यादा वोट NOTA पर पड़े. इन 15 सीटों में से 13 पर कांग्रेस जीती और 2 पर निर्दलीय जीते और 13 सीटों में से 8 सीटें बीजेपी के पास थी और 5 कांग्रेस की थी. यानी जो वोट नोटा पर पड़े वो बीजेपी को जाते ते बीजेपी की सीटों की संख्या बढ़ सकती थी.


कांग्रेस भी ऐसी 15 सीटें हारी हैं जहां कांग्रेस की हार का अंतर नोटा को मिले वोट से कम था. यानी जो फॉर्मूला बीजेपी की हारी सीटों के लिए सही कहा जा रहा है अगर वही फॉर्मूला कांग्रेस की हारी सीटों पर लागू करें तो कांग्रेस भी वर्तमान की 80 सीटों से बढ़कर 95 सीट पर पहुंच सकती थी यानी कांग्रेस को भी बहुमत मिल जाता.