नई दिल्ली: 11 अगस्त को राज्यसभा में जोरदार हंगामा हुआ था. आरोप लगे कि हाथापाई तक हुई. सरकार और विपक्ष ने एक दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए. इस बीच राज्यसभा सचिवालय ने हंगामे के उस 63 मिनट का मिनट-टू-मिनट ब्यौरा जारी किया है. 11 अगस्त को शाम 5 बजकर 45 मिनट के बाद राज्यसभा में ऐसा क्या हुआ कि हंगामा, हाथा-पाई में बदला. जिम्मेदार कौन है और गलती किसकी है. इसी पर अब राज्यसभा ने बकायदा लिखित में हंगामे के उस 63 मिनट का एक ब्यौरा दिया है.


इस रिपोर्ट में 11 अगस्त की शाम 6 बजकर 2 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 5 मिनट का पूरा ब्यौरा दर्ज है. हंगामे को 18 प्वाइंट्स में समझाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक शाम 5 बजकर 45 मिनट पर सरकार जैसे ही सदन में इंश्योरेंस बिल लेकर आई. विपक्ष के सांसदों ने हंगामा शुरू कर दिया और वेल में पहुंच गए.


ठीक 6 बजकर 2 मिनट पर TMC सांसद डोला सेन ने अपनी ही पार्टी की सांसद शांता छेत्री के गले में स्कार्फ का फंदा डाला और नारेबाजी करने लगीं. 6 बजकर 4 मिनट पर दोनों सांसद हंगामा करते हुए वेल में पहुंच गईं. ठीक इसके 4 मिनट बाद यानि 6 बजकर 8 मिनट पर कांग्रेस सांसद फूलो देवी ने कागज फाड़े और हाउस की टेबल की तरफ फेंके. एक मिनट बाद कांग्रेस सांसद छाया वर्मा ने भी पेपर फाड़ के फेंके. 6 बजकर 10 मिनट पर कुछ और सांसदों ने टेबल से पेपर छीनने शुरू कर दिए.


TMC सांसद ने पीयूष गोयल और प्रह्लाद जोशी का रास्ता रोका
हंगामा बढ़ता देख राज्यसभा को 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया गया. लेकिन इस बीच राज्यसभा की रिपोर्ट में एक और चौंकाने वाला दावा किया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक जब सदन के नेता पीयूष गोयल और संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी चेयरमैन के चैंबर से लौट रहे थे तब टीएमसी सांसद डोला सेन ने दोनों का रास्ता रोका. दावा है कि दोनों के साथ डोला सेन ने धक्का मुक्की भी की.


रिपोर्ट के मुताबिक विपक्षी सांसदों की धक्का-मुक्की तब और उग्र हो गई. जब कर्नाटक से कांग्रेस सांसद सैयद नासिर हुसैन ने शिवसेना सांसद संजय राउत को सुरक्षाकर्मियों की तरफ धकेला. रिपोर्ट के मुताबिक इसके बाद केरल से सीपीआई(एम) सांसद एलामरम करीम ने सुरक्षा में तैनात एक मार्शल की गर्दन दबा दी. कांग्रेस सांसद फूलोदेवी ने इसी बीच महिला सुरक्षाकर्मी के साथ भी बदसलूकी की.


विपक्ष के सांसदों की है सारी गलती
राज्यसभा की रिपोर्ट के मुताबिक, सारी गलती विपक्ष के सांसदों की है. लेकिन कांग्रेस की जिन महिला सांसदों पर धक्का-मुक्की का आरोप है उनका दावा कुछ और है. विपक्ष का कहना है कि राज्यसभा टीवी सरकार का है और क्या दिखाना है यह सरकार तय करती है. सरकार अपने मुताबिक ही सीसीटीवी जारी कर रही है. पूरा फुटजे देखें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा. विपक्ष का आरोप ये भी है कि मार्शल्स को बाहर से बुलाया गया था. लेकिन राज्यसभा सचिवाल ने आरोपों को खारिज किया है. हालांकि ये जरूर माना है कि हालात को संभालने के लिए मार्शल्स की अधिकतम संख्या 42 तक पहुंची थी.


मुद्दा सियासी है... इसलिए हर दांव-पेंच इस्तेमाल किया जा रहा है. गुरुवार को विपक्षी दल के सांसदों ने पहले उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू से मिलकर अपना विरोध दर्ज कराया. फिर हाथों में तख्तियां लिए संसद भवन से विजय चौक तक पैदल मार्च किया. संसद सत्र खत्म हो चुका है लेकिन मुमकिन है कि 11 अगस्त को शुरू हुआ सियासी बवाल अभी लंबा खिंचे.


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