Nirav Modi Money Laundering Case: भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की कंपनी फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड के बैंक अकाउंट्स से पैसों को नहीं निकाला जा सकता है. यह जानकारी दो बैंकों ने गुरुवार (9 फरवरी) को विशेष पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम) अदालत को दी. बैकों ने लिक्विडेटर के एफिडेविट के जवाब में कोर्ट को यह जानकारी दी है.


एफिडेविट में दावा किया गया कि तीन बैंकों को लोन की वसूली के लिए फर्म के खातों से 37 करोड़ रुपये लेना बाकी है. लिक्विडेटर को राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण ने नियुक्त किया था. पिछले अक्टूबर में दायर किए गए हलफनामे के अनुसार, कंपनी के पास कोटक महिंद्रा बैंक के साथ 2.67 करोड़ रुपये, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के साथ 17.98 करोड़ रुपये और बैंक ऑफ महाराष्ट्र के साथ 16.32 करोड़ रुपये जमा थे.


'आयकर विभाग और ईडी ने किया है अकाउंट अटैच'


हलफनामे में कहा गया है कि अदालत ने 13 अगस्त 2021 को बैंकों को लिक्विडेटर के पक्ष में पैसा जारी करने का निर्देश दिया था. हालांकि, जब अधिकारी बैंकों के पास पहुंचे तो उन्होंने ऐसा करने में असमर्थता जताई. गुरुवार को कोटक महिंद्रा बैंक ने अदालत में कहा कि फर्म का खाता पहले आयकर विभाग और एक दिन बाद प्रवर्तन निदेशालय ने अटैच किया था. ये दोनों एजेंसियां नीरव मोदी और उनकी फायरस्टार ग्रुप की फर्मों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच कर रही हैं.


'IT विभाग ने बकाया चुकाने के लिए दिया था नोटिस'


बैंक ने अदालत को बताया कि IT विभाग ने 21 फरवरी 2019 को एक नोटिस जारी किया था, जिसमें उनसे फायरस्टार इंटरनेशनल लिमिटेड का बकाया चुकाने को कहा गया था. बैंक ने कहा, 'हमारे पास भुगतान (कंपनी के खाते से) करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था, क्योंकि बकाया राशि वैधानिक थी.' हालांकि, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने अपने जवाब में कहा कि फर्म के क्रेडिट बैलेंस में रखी गई धनराशि को एक लोन अकाउंट के खिलाफ में समायोजित किया गया था.


बता दें कि इस पूरे मामले में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया को अभी अपना जवाब दाखिल करना है. वहीं लिक्विडेटर ने तर्क दिया कि बैंकों को अदालत की अनुमति के बिना फर्म के खातों में पड़े पैसों को नहीं छूना चाहिए था. विशेष अदालत इस मामले में अब 23 फरवरी को फैसला सुनाएगी.


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