सीबीआई की विशेष अदालत ने मंगलवार 12 अप्रैल को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) लोन धोखाधड़ी मामले में भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी के करीबी सुभाष शंकर परब को 26 अप्रैल तक 14 दिन की CBI कस्टडी में भेज दिया. सुभाष को आज तड़के सुबह भारत लाया गया, जिसके बाद दोपहर में उसे रिमांड के लिए सीबीआई की विशेष अदालत में पेश किया गया. 


गिरफ्तारी से बचने के लिए फरार हुआ था परब
नीरव मोदी के करीबी सहयोगी, सुभाष को मिस्र के काहिरा में गिरफ्तार किया गया और मुंबई लाया गया. सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा 6,500 करोड़ रुपये के पीएनबी लोन धोखाधड़ी मामले में भारत में उनके खिलाफ मामले दर्ज किए जाने के बाद गिरफ़्तारी से बचने के लिए सुभाष फरार हो गया था. नीरव के भाई नेहल को जब पता चला कि उन्हें भारतीय जांच एजेंसियां ढूंढ रही हैं तब उसने सुभाष परब को काहिरा में डमी निदेशकों को सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था.


परब नीरव के फायरस्टार डायमंड में उप महाप्रबंधक (वित्त) के पद पर था. CBI का दावा है कि पीएनबी को 7,000 करोड़ रुपये से अधिक की हेराफेरी करने के लिए सौंपे गए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) का मुख्य गवाह परब है इसी वजह से CBI उसका पीछा कर रही थी. आपको बता दें कि साल 2018 में जब यह घोटाला सामने आया था तब परब भी उन अधिकारियों में से एक था जो मोदी के परिवार के सदस्यों और उसके चाचा मेहुल चोकसी के साथ भारत से गायब हो गया था.


करोड़ों के घोटाले को लेकर सीबीआई करेगी पूछताछ
CBI ने बताया कि साल 2018 में, इंटरपोल ने परब के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस (RCN) जारी किया था. एक लंबी डिप्लोमैटिक और कानूनी प्रक्रिया के बाद, सीबीआई ने परब को भारत लाने में कामयाबी हासिल की, जो एक महत्वपूर्ण गिरफ़्तारी है और ये देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले जिसमें नीरव और मेहुल चोकसी द्वारा कथित रूप से 13,000 करोड़ रुपये के घोटाला किया गया, इस पर CBI को बहुत कुछ बता सकता है. नीरव और चोकसी दोनों कथित तौर पर एलओयू का इस्तेमाल कर सरकारी पीएनबी बैंक से 13,500 करोड़ रुपये के सार्वजनिक धन की हेराफेरी करने के मामले में फ़रार हैं.


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