चंद्रयान-2 मिशन को लेकर आने वाले दिनों में जल्द ही मिल सकती है खुशखबरी. दरअसल  रोवर (Rover Pragyan) को लेकर रवाना हुए लैंडर विक्रम की सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास असफल होने के 10 महीने बाद NASA ने अब नई तस्वीरें जारी की है. नासा के द्वारा जारी की गई तस्वीरों ने इसरो की उम्मीद फिर से जगा दी है.


LRO की ताजा तस्वीरों के आधार पर चेन्नई के इंजिनियर शानमुगा सुब्रमण्यम ने दावा किया है कि  भले ही विक्रम की लैंडिंग मनमाफिक न हुई हो, यह हो सकता है कि चंद्रयान-2 के रोवर प्रज्ञान ने एकदम सही-सलामत चांद की सतह पर कदम रखा था.

नासा के एलारों ने पिछले साल तीन बार उस जगह की तस्वीरें ली जहां लैंडर और उसका मलबा पाया गया. एलारों से ली गई तस्वीरों से लैंडिंग साइट पर जो निशान मिले माना जा रहा था कि वह उस मलबे की थी. शान ने एलारो से ली गई तस्वीरों से विक्रम लैंडर का पता लगाया था. शान ने एलारों से ली गई तस्वीरों से विक्रम लैंडर को स्पॉट किया था जिसकी पुष्टि नासा ने भी थी.

शान ने एबीपी न्यूज को बताया कि इस साल चार जनवरी को ली गई तस्वीरों को तब स्टडी किया गया तो उसमें कुछ अलग दिखाई दिया इस बार विक्रम से कुछ दूरी पर कुछ और भी दिखा जो पहले से अलग था. शान का मानना है कि यह विक्रम के अंदर मौजूद रोवर प्रज्ञान था.

शान का कहना है कि रोवर का पता लगाना मुश्किल था क्योंकि यह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद है,  जहां सही से रोशनी नहीं होती है.  शान के मुताबिक कि इस बार चांद के हिस्से पर रोशनी पहले से ज्यादा थी और अलग ऐंगल पर यह रोशनी रोवर पर टकराई और इसी रिफ्लेक्शन की वजह से इस बार वह देखा जा सका. शान ने इसकी जानकारी ISRO और NASA को दी है और उनकी पुष्टि का इंतजार किया जा रहा है.  शान ने इसकी जानकारी इसरो और नासा को भी दी है और इसकी पुष्टि का इंतजार कर रहे हैं.

चंद्रयान-2 अपने साथ कुल 13 पेलोड लेकर गया था जिनमें से 3 लैंडर पर और 2 रोवर पर थे. शान का कहना है कि पहले NASA को और उनको जो मलबा दिखा था, मुमकिन है कि वह इसी पेलोड का हो. शान बताते हैं कि उन्हें जो मलबा दिखा था वह Langmuir प्रोब का हो सकता है. वहीं, NASA को जो मलबा दिखा था वह लैंडर में लगे ऐंटेना, दूसरे पेलोड, रेट्रो ब्रेकिंग इंजिन या सोलर पैनल का हो सकता है.

खास बात यह है कि चांद की सतह पर विक्रम की रफ लैंडिंग हुई थी, क्रैश लैंडिंग नहीं. यानी कि ऐसी संभावना है कि लैंडर भले ही बुरी तरह सतह पर लैंड हुआ हो और उसके कम्यूनिकेशन बंद हो गए लेकिन रोवर प्रज्ञान उसके अंदर सुरक्षित रहा. बाद में पहले से प्रोग्राम किए गए तरीके के मुताबिक ही वह विक्रम से बाहर निकला और कुछ दूर तक गया. शान का कहना है कि सतह पर टक्कर की वजह से रोवर के लैंडर से बाहर फेंके जाने की संभावना कम है.

मुमकिन है कि रोवर सही तरीके से लैंडर से बाहर निकला था. ऐसा इसलिए है क्योंकि तस्वीरों में लैंडर और रोवर के बीच ट्रैक देखा जा सकता है. अगर रोवर टक्कर खाकर बाहर गिरा होता, तो ऐसा ट्रैक बनने की संभावना कम थी. हालांकि इस पूरे मामले पर इसरो और नासा की पुष्टि का इंतजार है.

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