Nagaland Lok Sabha Chunav 2024: देश में लोकसभा चुनाव के लिए 19 अप्रैल को पहले चरण की वोटिंग खत्म हो गई. ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स संगठन (ENPO) की अपील के बाद नागालैंड के छह जिलों में 19 अप्रैल की दोपहर तक लगभग शून्य फीसदी वोटिंग दर्ज की गई. यह संगठन साल 2010 से नागालैंड के छह पिछड़े जिलों को मिलाकर एक राज्य बनाने की मांग कर रहा है. उत्तर-पूर्वी राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी ने चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए ईएनपीओ को नोटिस जारी किया है.


इन जगहों पर नहीं हुई वोटिंग


वोटर्स टर्नाउट पर साझा किए गए वोटिंग प्रतिशत के अनुसार मोन, नोकलाक, किफिरे, शामातोर जिले में वोटिंग साझा नहीं की गई है. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव अधिकारी ने बयान जारी कर कहा कि इस संगठन ने आम चुनाव में मतदान करने के लिए पर्वी नागालैंड के क्षेत्र में रहने वाले लोगों को गलत तरीके से प्रभावित करके उनेक वोटिंग के अधिकार में हस्तक्षेप किया है.


उन्होंने कहा कि ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा गया है कि उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए. आईपीसी की धारा 17 सी की उपधारा के अनुसार कोई भी किसी के चुनावी अधिकार का उपयोग करने में हस्तक्षेप करता है तो वह चुनाव पर गलत प्रभाव डालने का अपराध करता है.


'वोटिंग नहीं करने की पहल लोगों ने की'


ईएनपीओ ने जवाब दिया कि सार्वजनिक अधिसूचना का पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की संभावना को कम करना और असामाजिक तत्वों के जमावड़े को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है. ईएनपीओ की ओर से कहा गया कि वर्तमान समय में पूर्वी नागालैंड क्षेत्र सार्वजनिक आपातकाल की चपेट में है. ईएनपीओ ने कहा, "वोटिंग नहीं करने की पहल लोगों की ओर से की गई थी. किसी भी चुनाव में गलत प्रभाव डालने के उद्देश्य से कोई अपराध नहीं किया गया है."


ईएनपीओ ने अपने बयान में कहा कि वह चुनाव आयोग के साथ सहयोग करने को तैयार है. 30 मार्च को ईएनपीओ ने 20 विधायकों और अन्य संगठनों के साथ बंद कमरे में बैठक की थी, जिसमें उन्होंने लोकसभा चुनाव से पूरी तरह से दूर रहने के अपने फैसले को दोहराया. पूर्वी नागालैंड विधायक संघ ने ईएनपीओ से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था.


वोटिंग के बहिष्कार का किया गया था आह्वान 


ईएनपीओ ने अपने बयान में कहा, "वोट नहीं डालने के निर्णय को लोगों ने हल्के में नहीं लिया. यह पूर्वी नागालैंड के लोगों की भावनाओं और आकांक्षाओं को दिखाता है, जिन्होंने लोकतांत्रिक ढांचे में रहकर हमारे अधिकारों की वकालत की है." 8 मार्च को ईएनपीओ- क्षेत्र की सात नागा जनजातियों की सर्वोच्च संस्था और इसके प्रमुख संगठनों ने चुनाव अभियान की अनुमति नहीं दी थी. ईएनपीओ ने पिछले साल के विधानसभा चुनाव से पहले भी वोटिंग के बहिष्कार का आह्वान किया था, लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आश्वासन के बाद इसे वापस ले लिया गया था.


ये भी पढ़ें: Lok Sabha Election 2024: 'न छेड़ेंगे न छेड़ने दें,' आरक्षण छीनने के सवाल पर जानें अमित शाह ने और क्या कहा