नई दिल्ली: भारतीय नौसेना ने साफ कर दिया है कि अगर किसी देश का जहाज भारत की समुद्री सीमाओं में दाखिल होगा तो उसे पहले भारत से इजाजत लेनी होगी. करीब दो महीने पहले भारतीय‌ नौसेना ने चीन के एक जहाज को इसीलिए बाहर का रास्ता दिखाया था क्योंकि वो भारत के अधिकार-क्षेत्र में रिसर्च करने के इरादे से घुसने की तैयारी कर रहा था.


इस बात का खुलासा आज खुद नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने राजधानी दिल्ली में किया. नौसेना दिवस से एक दिन पहले एडमिरल करमबीर सिंह मंगलवार को सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उसी दौरान एक‌ सवाल के जवाब में नौसेना प्रमुख ने कहा कि चीन के करीब 7-8 जहाज एक समय में हिंद महासागर में मौजूद रहते हैं. ये जहाज एंटी-पायरेसी पैट्रोलिंग, ओसयनोग्राफी, साईंटेफिक रिसर्च से लेकर डीप सी माईनिंग यानि गहरे समंदर की खुदाई के लिए मौजूद रहते हैं. लेकिन करीब दो महीने पहले जब अंडमान निकोबार में चीन का एक जहाज रिसर्च के इरादे से हमारे एक्सक्लुजिव इकोनोमिक जोन (ईईजेड) में दाखिल हुआ तो उसे बाहर भेज दिया था, क्योंकि हमारे ईईजेड में आने के लिए पहले हमसे इजाजत लेनी होगी.


एडमिरल करमबीर सिंह के मुताबिक, इस महीने के आखिर में अरब सागर में चीन और पाकिस्तान की नौसेनाएं साझा युद्धभ्यास करने जा रही हैं. इस युद्धभ्यास के लिए चीन के युद्धपोत अरब सागर पहुंच रहे हैं जिसकी जानकारी भारतीय नौसेना को है. लेकिन उन्होनें कहा कि ये 'सामान्य प्रक्रिया' है क्योंकि भारत भी दूसरे देशों की नौसेनाओं के साथ एक्सरसाइज करता है.


लेकिन नौसेनाध्यक्ष ने साफ किया कि चीन की नौसेना और भारतीय नौसेना 'समान मानसिकता' वाली नौसेनाएं नहीं हैं. यही वजह है कि अगले साल मार्च में विशाखापट्टनम में होने वाली मल्टीनेशनल नेवल एक्सरसाइज, 'मिलन' के लिए चीन को न्यौता नहीं दिया गया है. आपको बता दें कि भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित इस एक्सरसाइज में अमेरिका, रूस, फ्रांस, इजरायल, सऊदी अरब, मोजंबिक, जिबूती सहित कुल 41 देश हिस्सा ले रहे हैं.


सूत्रों के मुताबिक, चीन के युद्धपोतों को मिलन एक्सरसाइज में न्यौता देकर भारत चीन को अपने समुद्री सीमाओं में दाखिल नहीं करना चाहता था. यही वजह है कि चीन को मिलन युद्धभ्यास में नहीं आमंत्रित किया गया है. क्योंकि हिंद महासागर में चीन की मौजूदगी को भारत किसी कीमत में 'लेजेटिमाइज़' नहीं करना चाहता.


अपनी कार्यकाल की पहली प्रेस कांफ्रेंस कर रहे एडमिरल करमबीर सिंह ने रक्षा बजट में लगातार नौसेना के कम हो रहे हिस्से को लेकर चिंता भी जताई. उन्होनें कहा कि वर्ष 2012 में ये 18 प्रतिशत था जबकि इस‌ साल ये मात्र 13 प्रतिशत रह गया है. उन्होनें कहा कि नौसेना को तीन एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत है. भारतीय नौसेना के पास फिलहाल एक विमानवाहक युद्धपोत है जबकि एक स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर, आईएनएस विक्रांत कोचिन शिपयार्ड में बन रहा है. करमबीर सिंह ने कहा कि तीसरे युद्धपोत के लिए वे जल्द सरकार से मंजूरी लेंगे.