Naveen Jindal Birth Anniversary: 22 सितम्बर, 1995 को एक युवा बिजनेसमैन ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी. इसमें भारत के ध्वज कोड में बदलाव की मांग की गई थी, ताकि हर भारतीय गर्व के साथ तिरंगा फहरा सके. उस समय तक आम नागरिकों को तिरंगा लगाने की अनुमति नहीं थी. इस युवा की मुहिम रंग लाई और सुप्रीम कोर्ट ने भारत के ध्वज कोड में बदलाव का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस युवा बिजनेसमैन नेता का नाम नवीन जिंदल है. 9 मार्च को नवीन जिंदल का जन्मदिन है.


बात 1993 की है. नवीन जिंदल छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में स्थित जिंदल स्टील प्लांट के परिसर में तिरंगा फहराने जा रहे थे, लेकिन उन्हें अधिकारी ने रोक दिया. नवीन जिंदल को बताया गया कि भारत के आम नागरिक को अपने देश का राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं है. केवल सरकारी कार्यालयों और बड़े सरकारी अधिकारियों की गाड़ी पर ही राष्ट्रीय ध्वज फहराया जा सकता है. नवीन जिंदल को ये बात चुभ गई और उन्होंने प्रण कर लिया कि राष्ट्रीय ध्वज फहराने का अधिकार लेकर रहेंगे.


जिंदल ने दिलाया हर भारतीय को अधिकार
दो साल बाद सितम्बर, 1995 में जिंदल ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर ध्वज कोड में बदलाव की मांग की. उन्होंने याचिका में देश के हर नागरिक का मूल अधिकार होने के पक्ष में तर्क रखा. हाई कोर्ट से मामला सुप्रीम कोर्ट में गया और लगभग एक दशक की लड़ाई के बाद सर्वोच्च अदालत ने 23 जनवरी, 2004 को ऐतिहासिक फैसला सुनाया. 


सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में हर भारतीय को भारत का राष्ट्रीय ध्वज, तिरंगा पूरे साल गरिमा और सम्मान के साथ फहराने की अनुमति दी. 


फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया की स्थापना
सुप्रीम कोर्ट से तिरंगा फहराने का हक मिलने के बाद नवीन जिंदल और शालू जिंदल ने फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया की नींव रखी. नॉन प्रॉफिट वाली इस गैर सरकारी संस्था का उद्देश्य लोगों को तिरंगे के बारे में जागरूक करना था.


कौन हैं नवीन जिंदल?
नवीन जिंदल का जन्म मशहूर उद्योगपति और हरियाणा के निवासी ओम प्रकाश जिंदल और सावित्री जिंदल के यहां हुआ था. 1970 में जन्मे नवीन, ओम प्रकाश जिंदल के सबसे छोटे बेटे हैं. इस समय वह जिंदल स्टील एंड पॉवर लिमिटेड के प्रमुख हैं. 2006 में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने नवीन जिंदल को 250 वैश्विक युवा नेताओं की वार्षिक सूची में शामिल किया था. इस लिस्ट में वह शीर्ष 25 भारतीयों में थे.


राजनीति से नाता
नवीन जिंदल की बिजनेस के साथ ही राजनीति में भी गहरी दिलचस्पी थी. जिंदल 2004 से 2014 तक दो बार कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र से निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 2014 में वह बीजेपी के राज कुमार सैनी से चुनाव हार गए थे. 2019 में कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया था.


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