भारत विकास की राह में लगातार अग्रसर है. आजादी के बाद से अब तक भारत ने बहुत सारे विकासात्मक कदम उठाए हैं. विकास की राह पर ले जाने के लिए हर संभव कदम सरकार के स्तर पर उठाए जा रहे हैं. जिस तरह सरकार डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पर ध्यान दें रही है, उससे उम्मीद लगाई जा सकती है कि भारत साइंस के क्षेत्र में तरक्की चाहती है. इसी मिशन को ध्यान में रखकर क्वांटम मिशन पर भी काम किया जा रहा है.


इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के अनुसार मई 2023 तक 4945 यूनिट इंडस्ट्रियल क्षेत्र में इंस्टॉल किया गया है. रोबॉट के आने के बाद से उसकी शिक्षा, मॉन्यूफैक्चरिंग कैपेसिटी और उसके शिक्षा उपलब्ध कराने के क्षेत्र में रोजगार भी बढ़ेगा. आगामी कुछ सालों में भारत क्वांटम कंप्यूटर और अन्य चीजों का उपयोग शुरू कर देगा. डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसार क्वांटम मिशन के अंतर्गत काम चल रहा है.


क्वांटम कंप्यूटर से काम होंगे आसान


क्वांटम मिशन के अंतर्गत बहुत से कार्य चंद सेकेंड में कर लिए जाएंगे. संभवत: क्वांटम कंप्यूटर भारत में 2025 के अंत तक आ जाए, लेकिन ये कुछ सरकारी संस्थान के पास ही रहेंगे. संभावना है कि 2028-29 के बीच भारत में क्ववांटम कंप्यूटर आदि बाजार में उपलब्ध हो पाए. इस प्रकार विकसित होने के बाद भारत भी उन चुनिंदा देशों के साथ खड़ा हो जाएगा, जिनके पास पहले से ये सभी तंत्र मौजूद हैं. जिस प्रकार की चीन, जापान और अमेरिका जैसे देशों के पास है. कोविड के समय में भी रोबोट का कई देशों ने इस्तेमाल किया. जिसमें चीन और इटली आदि शामिल है.


स्टैंफोर्ड विश्वविद्यालय के एआई इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2022 में एआई आधारित उत्पादों और सेवाओं की पेशकश करने वाली स्टार्टअप द्वारा प्राप्त निवेश के मामले में पांचवां स्थान पर है. G20 में भी एआई और उसके उपयोगिता और उसके गलत उपयोग से दुष्प्रभाव पर चर्चा किया गया था. National Strategy on Robotics के अनुसार चीन ने 2022 में $ 43.5 मिलियन, जापान ने 2020-2025 के लिए $1370.5 मिलियन , अमेरिका ने 2021-2022 में $15.7 मिलियन, साउथ कोरिया ने 2019 - 2023 के लिए $451.23 मिलियन, और जर्मनी ने 2021- 2026 तक के लिए $ 345.6 मिलियन इनवेस्ट किया है.
 
क्वांटम कंप्यूटर होगा विकास का बड़ा कदम


राष्ट्रीय क्वांटम मिशन को 2023-24 से 2030-31 तक की अवधि के लिए कुल 6003.65 करोड़ रुपये की सरकार ने मंजूरी भी दी हुई है. यह मिशन सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में आठ वर्षों में 50-1000 भौतिक क्यूबिट की क्षमता वाला मध्यवर्ती स्तर का क्वांटम कंप्यूटर विकसित करने का इरादा रखता है. क्वांटम कंप्यूटर विकास के क्षेत्र में बड़ा कदम माना जाएगा. इसका ज्यादा उपयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में किया जाना है, जो बीमारियां अभी तक समझ के बाहर थी. क्वांटम कंप्यूटर की मदद से उसका उपयोग एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड जैसे अन्य कई जगहों पर उपयोग होगा. क्वांटम मिशन में क्वांटम तकनीक के अनुसंधान और विकास की ओर ले जाने के लिए की जाएगी. जिसमें कंप्यूटिंग, कम्युनिकेशन और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में उन्नति हो सकती है.


राष्ट्रीय क्वांटम मिशन देश में प्रौद्योगिकी विकास से संबंधित इकोसिस्टम को वैश्विक प्रतिस्पर्धी स्तर पर ले जाने में मदद कर सकता है। इस मिशन से संचार, स्वास्थ्य, वित्तीय और ऊर्जा क्षेत्रों के साथ-साथ दवाओं के निर्माण और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों को बहुत लाभ होगा. ये डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्किल इंडिया और स्टैंड-अप इंडिया, स्टार्ट-अप इंडिया, आत्मनिर्भर भारत और सतत विकास लक्ष्यों जैसी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को व्यापक रूप से बढ़ावा देगा. भारत भी बदलते हुए समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की फिराक में है और ये अवसर भारत अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता रोबॉटिक्स का उपयोग इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर, कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य सेवाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में तो अच्छा उपयोग हो सकता है. भारत वर्ष 2030 तक रोबोटिक्स के क्षेत्र में विश्व में काफी एक अच्छा स्थान रख सकता है. भारत की बाजारों में काफी प्रतिस्पर्धा है. ऐसे में उम्मीद की जा सकती है कि रोबोटिक्स के क्षेत्र में भारत अच्छा तरक्की करेगा.


टेक्नोलॉजी पर आधारित है ज्यादा काम


आज का समय पूरी तरह से टेक्नोलॉजी पर आधारित है. नए भारत में टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में लगातार विकास हो रहा है. टेक्नोलॉजी के विकास आम आदमी तक पहुंचाने का भी प्रयास की जा रही है. ताकि मेहनत की जगह टेक्नोलॉजी बेस्ड कार्य करें. हमारा देश सबसे ज्यादा युवाओं वाला देश है. भारत देश में सबसे ज्यादा टेक्नोलॉजी का उपयोग की जाती है. हमारे जीवन में एआई और रोबॉटिक्स का दखल भी कहीं न कहीं होता जा रहा है. दुनिया के कई देशों ने इस क्षेत्र में नई-नई योजनाएं और नीतियों पर काम कर रहे हैं. भारत सरकार भी राष्ट्रीय रोबॉटिक्स रणनीति पर अपने हिसाब से तैयारी कर रही है. भारत में एआई और रोबोटिक्स को लेकर एक बेहतर रणनीति की जरूरत है.


भारत की घनी आबादी, शिक्षा प्रणाली और एक उद्यमशीलता रोबोटिक्स क्षेत्र में सफलता सुनिश्‍चि‍त करने के लिए एक अच्छा वातावरण भी उपलब्ध कराती है. भारत के कई उद्योगों में रोबॉट का उपयोग हो रहा है, जो कि आने वाले वर्षों में और तेजी से बढ़ने वाला है. रोबॉटिक्स तकनीक के माध्यम से उत्‍पादन और समाज कल्याण जैसे क्षेत्रों में बहुत सुधार व विकास की जा सकती है. भारत में रोबॉट का उपयोग ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा वितरण में सुधार करने, कृषि उत्पादकता बढ़ाने और शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण को कम करने के लिए किया जा सकता है. भारत में रोबॉटिक्स में लोगों की रुचि बढ़ रही है. 


देश की पहली एआई टीचर पहुंची क्लास


भारत में देश की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी की एआई रोबॉटिक टीचर केरल से देखने को मिली. केरल के तिरुवनंतपुरम में एक स्कूल में एआई महिला टीचर, आइरिस ने पहले दिन स्कूल में आई. तो पूरे स्कूल के छात्रों की चेहरे खिल गए. इसके साथ ही शिक्षा के क्षेत्र में यह कदम काफी क्रांतिकारी माना जा रहा है. मेकरलैब्स एडुटेक कंपनी के सहयोग से इस एआई रोबोट को विकसित किया गया है.


रोबॉट आइरिस भारत के केरल राज्य और संभवतः पूरे देश की पहली ह्यूमनॉइड रोबॉट टीचर है. ये इनोवेशन केरल के तिरुवनंतपुरम केटीसीटी हायर सेकेंडरी स्कूल से आया है. आइरिस अटल टिंकरिंग लैब परियोजना का ही एक हिस्सा है, जो 2021 नीति आयोग की पहल है. जिसे स्कूलों में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज को बढ़ावा देने के लिए डीज़ाइन किया गया. माना जा रहा है कि आने वाले समय में और भी एआई और रोबॉटिक्स का उपयोग कर अन्य क्षेत्रों में तरक्की की ओर अग्रसर होने पर भारत काम करेगा.


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