Srinagar Court Summons Farooq Abdullah: बहुचर्चित जम्मू-कश्मीर क्रिकेट संघ-जेकेसीए (Jammu And Kashmir Cricket Association-JKCA) घोटाले पर शनिवार को श्रीनगर की अदालत में पहली सुनवाई हुई. इस सुनवाई में नेशनल कांफ्रेंस (National Conference-JKNC) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) पेश नहीं हो पाए. जेकेएनसी के चीफ ने अदालत में हाजिर न होने को लेकर अपनी सेहत संबंधी दिक्कतों का हवाला दिया है. गौरतलब है कि यह घोटाला उस समय का है जब फारूक अब्दुल्ला जेकेसीए के चीफ थे.


मनी लॉन्ड्रिंग पर थी सुनवाई


जम्मू और कश्मीर क्रिकेट संघ (जेकेसीए) घोटाले में पहली सुनवाई पर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला "स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों" का हवाला देते हुए अदालत के सामने पेश नहीं हुए. जम्मू-कश्मीर में कथित वित्तीय अनियमितताओं से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला क्रिकेट एसोसिएशन की आज सुनवाई होनी थी. उन्हें श्रीनगर (Srinagar) के प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश की अदालत में बुलाया गया था. इस दौरान जेकेएनसी चीफ अब्दुल्ला के वकील इश्तियाक अहमद खान ने अदालत को बताया कि जेकेएनसी अध्यक्ष सेहत संबंधी दिक्कतों की वजह से अदालत में उपस्थित नहीं हो पा रहे हैं. इस पर न्यायाधीश ने वकील खान से कहा कि अब्दुल्ला को सुनवाई की अगली तारीख पर अदालत में उपस्थित होना चाहिए, जो 26 सितंबर को सूचीबद्ध है. वकील खान ने अदालत को बताया कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला उस सुनवाई में शामिल होंगे.


23 जुलाई को भेजा गया था समन


गौरतलब है कि 23 जुलाई 2022 को मनी लॉन्ड्रिंग (Money Laundering) मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेकेएनसी चीफ फारूक अब्दुल्ला और अन्य के खिलाफ दायर एक शिकायत पर समन जारी किया था. इस मामले में एजेंसी ने श्रीनगर से सांसद अब्दुल्ला से कई बार पूछताछ की है. सूबे के पूर्व सीएम रहे फारूक अब्दुल्ला  2001 से 2012 तक जेकेसीए के अध्यक्ष थे. जेकेसीए में 2004 और 2009 के बीच कथित वित्तीय हेराफेरी के इस मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो- (CBI) और ईडी कर रहे हैं. ईडी इस मामले में पहले ही 21 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क कर चुकी है.


इसमें अब्दुल्ला की 11.86 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति भी शामिल है. ईडी (ED) ने दावा किया कि उसकी अब तक की जांच से पता चला है कि अहसान अहमद मिर्जा (पूर्व कोषाध्यक्ष, जेकेसीए) ने जेकेसीए के अन्य पदाधिकारियों के साथ मिलकर 51.90 करोड़ रुपये के जेकेसीए फंड का दुरुपयोग किया था. उन्होंने इस पैसे का इस्तेमाल अपनी व्यक्तिगत और व्यावसायिक देनदारियां निपटाने के लिए किया. जांच एजेंसियों ने श्रीनगर के राममुंशी बाग पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले के आधार पर जेकेसीए पदाधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की. बाद में हाईकोर्ट के निर्देश पर मामला सीबीआई (CBI) को ट्रांसफर कर दिया गया था. सीबीआई ने जेकेसीए के पूर्व पदाधिकारियों के खिलाफ 43.69 करोड़ रुपये के धन के हेराफेरी के मामले में आरोप पत्र दायर किया है.


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