Nagaland UCC: नगालैंड विधानसभा ने मंगलवार (12 सितंबर) को समान नागरिक संहिता (UCC) से राज्य को छूट दिए जाने का आग्रह करने वाला प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सदन में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि नगालैंड विधानसभा का 14वां सदन सर्वसम्मति से राज्य में प्रस्तावित यूसीसी को लेकर अधिनियम से छूट का प्रस्ताव रखता है.


उन्होंने कहा, ''नगालैंड सरकार और नागा लोगों का मानना है कि यूसीसी प्रथागत कानूनों, सामाजिक प्रथाओं और नागा लोगों की धार्मिक प्रथाओं के लिए खतरा पैदा करेगा, जिससे यूसीसी लागू होने की स्थिति में अतिक्रमण का खतरा रहेगा.'' सीएम ने कहा कि जाहिर तौर पर यूसीसी का उद्देश्य शादी और तलाक, कस्टडी और गार्जियनशिप, गोद लेने और रखरखाव, उत्तराधिकार और विरासत जैसे व्यक्तिगत मामलों पर एक ही कानून बनाना है.


कैबिनेट फैसले के माध्यम से 4 जुलाई को जता दिया था विरोध- सीएम रियो 


सीएम नेफ्यू रियो ने कहा कि राज्य सरकार ने एक कैबिनेट फैसले के माध्यम से 4 जुलाई को आयोग को यूसीसी पर अपने रुख के बारे में बता दिया था. उन्होंने कहा स्वतंत्रता पूर्व ब्रिटिश काल से चले आ रहे नगालैंड के अनूठे इतिहास को आधार बनाकर राज्य सरकार ने अपना विरोध व्यक्त किया था. 


रियो ने कहा कि स्वतंत्रता पूर्व समय से नगालैंड को लेकर गैर-हस्तक्षेप की नीति का आश्वासन मिला था और केंद्र की ओर से लोगों की सामाजिक और धार्मिक प्रथाओं और प्रथागत कानूनों और अनुच्छेद 371ए के तहत दी गई संवैधानिक गारंटी को जारी रखा गया.


क्या कहता है अनुच्छेद 371ए?


सीएम नेफ्यू रियो कहा, ''अनुच्छेद 371ए साफ तौर पर कहता है कि नागाओं की धार्मिक या सामाजिक प्रथाओं, इसके प्रथागत कानून और प्रक्रिया, सिविल और आपराधिक न्याय प्रशासन (जिसमें नागा प्रथागत कानूनों के अनुसार निर्णय शामिल हैं) और भूमि और उसके संसाधनों का स्वामित्व और ट्रांसफर के संबंध में संसद का कोई भी अधिनियम नगालैंड राज्य पर लागू नहीं होगा जब तक कि राज्य विधानसभा ऐसा निर्णय न ले.''


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