आईआईटी दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी पिछले दो दिनों से हिंदुत्व को लेकर दिए एक बयान के कारण सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं. दरअसल दिव्या ने रविवार यानी 10 सितंबर को विदेशी चैनल फ्रांस 24 को एक इंटरव्यू दिया था. इस इंटरव्यू में दिव्या ने भारत में हो रही जी20 सम्मेलन से लेकर कई मुद्दों पर बातचीत की. 


इसी क्रम में उन्होंने हिंदुत्व के बिना भारत के भविष्य पर बात करते हुए कह डाला कि भविष्य के भारत में हिंदुत्व नहीं रहेगा. उनके इंटरव्यू की यह क्लिप फेसबुक, ट्विटर से लेकर हर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल होने लगी. यूजर्स दिव्या के इस बयान का जमकर विरोध भी कर रहे हैं. दिव्या को सनातन धर्म के अपमान और वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भारत के खिलाफ नफरत फैलाने का जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.


 






पहले जानते हैं कि दिव्यी द्विवेदी ने इंटरव्यू में क्या कुछ कहा


10 सिंतबर को आईआईटी दिल्ली की एसोसिएट प्रोफेसर दिव्या द्विवेदी ने विदेशी चैनल फ्रांस 24 को जी 20 सम्मेलन को लेकर इंटरव्यू दिया था. 'इंडियाज मोमेंट: वॉट स्टेक्स एट दिल्ली G20 समिट?' पर इंटरव्यू में दिव्या ने कहा,  'दो भारत हैं. बहुसंख्यक आबादी को दबाने वाले नस्लीय व्यवस्था का अतीत का भारत और भविष्य का भारत है, जो जाति उत्पीड़न और हिंदुत्व के बिना समानतावादी भारत है. यह वह भारत है, जिसका अभी तक प्रतिनिधित्व नहीं किया गया, लेकिन वह इंतजार कर रहा है, दुनिया को अपना चेहरा दिखाने के लिए तरस रहा है.' 


उन्हें फ्रेंच मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि भारत का भविष्य बिना हिंदू धर्म वाला होगा. उन्होनें कहा भारत में जाति व्यवस्था भी बहुत पुरानी और गहरी है. इसका प्रभाव भी बहुत ज्यादा रहा है. उन्होंने कहा कि इस देश में ऊंची जातियों का एक ऐसा हिस्सा रहा है जो संख्या में कम है लेकिन देश के सबसे शक्तिशाली और असरदार पदों पर उनका दबदबा है. देश में ऊंची जाति के लोग सिर्फ 10 फीसदी है लेकिन उनका प्रभुत्व देश के 90 फीसदी  शक्तिशाली पदों पर रहा है. 


दिव्या द्विवेदी ने आगे कहा, 'भारत में एक तरफ, हमारे पास वंशानुगत अधिकार, प्रतिष्ठा और संपन्नता है तो दूसरी तरफ जन्म के आधार पर भेदभाव, गरीबी और जाति के आधार पर बहिष्कार है. इस ओर ध्यान आकर्षित करना मेरी मजबूरी और बौद्धिक कर्तव्य था.' 


कौन हैं दिव्या द्विवेदी 


दिव्या इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग (Department of Humanities and Social Sciences) में एसोसिएट प्रोफेसर हैं. वह मूल रूप से यूपी के प्रयागराज की रहने वाली हैं. उनके पिता का नाम राकेश द्विवेदी है और वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील हैं. दिव्या ने स्नतक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्री राम कॉलेज से की और सेंट स्टीफंस कॉलेज से मास्टर डिग्री प्राप्त की है. इसके अलावा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.फिल किया और आईआईटी दिल्ली से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की. 


पहले भी दे चुकी हैं विवादित बयान


दिव्या एक फिलॉस्फर, मार्क्सवादी और एक लेखक भी हैं जो हिंदूफोबिया, ऑन्कोलॉजी, तत्वमीमांसा, साहित्य के दर्शन और राजनीति के बारे किताबें लिख चुकी हैं. हालांकि यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने अपने विवादित बयान से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा है. 


दरअसल महात्मा गांधी के जन्म की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित एक टेलीविजन कार्यक्रम में दिव्या ने कहा था कि महात्मा गांधी ने "झूठे हिंदू बहुमत" के विचार के निर्माण में मदद की थी और हिंदू धर्म का आविष्कार 20वीं शताब्दी में हुआ था. 


द्विवेदी ने उस शो में कहा जिसमें गांधी और राजनीति पर चर्चा करते हुए कहा था, 'हिंदू अधिकार इस विचार का परिणाम है कि भारत एक हिंदू बहुसंख्यक आबादी है और यह एक गलत बहुमत है. हिंदू धर्म का आविष्कार 20वीं सदी की शुरुआत में इस तथ्य को छुपाने के लिए किया गया था कि निचली जाति के लोग भारत के वास्तविक बहुसंख्यक हैं…'


डिजिटिलीकरण और वैश्वीकरण मुद्दों पर भी रखी राय


10 सितंबर को हुए इसी इंटरव्यू में दिव्या से सरकार द्वारा किए गए डिजिटिलीकरण और वैश्वीकरण मुद्दों पर भी उनकी राय पूछी गई. फ्रांसिसि पत्रकार ने अपने साथ हुए एक वाक्य का उदाहरण देते हुए दिव्या से कहा कि कैसे एक रिक्शाचालक ने उन्हें समझाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया पहल जैसे तकनीकी विकासों ने उन्हें न सिर्फ ग्राहकों बल्कि पूरी दुनिया से जुड़ने और व्यवसाय बढ़ाने में मदद की है. दिव्या ने ऐसी कहानियों को मीडिया-टाइज्ड करार दिया.


जी 20 पर भी दे दिया ये बयान 


टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में भारत की अध्यक्षता में हुए जी 20 सम्मेलन को लेकर भी दिव्या ने कहा कि जी 20  अमीर और गरीब देशों से संबंधित है. पूरी दुनिया में कहीं भी सिर्फ जीडीपी के आधार पर देश की प्रगति को नहीं मापी जाती है. सबसे अमीर देशों में भी जलवायु परिवर्तन और राजनीतिक मुद्दों के कारण गरीबी जैसी स्थिति आ सकती है. गरीबी वैश्विक मुद्दा है और अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस सच को स्वीकार करना चाहिए.


हिंदुत्व वाले बयान पर भड़के सोशल मीडिया यूजर्स


जैसे ही दिव्या का विदेशी मीडिया को दिया गया यह इंटरव्यू सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा, वैसे ही यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया. इस वीडियो पर दोनों तरह की प्रतिक्रिया मिल रही है. कुछ यूजर्स दिव्या के सपोर्ट में हैं तो ज्यादातर यूजर्स ने उन्हें ट्रोल किया है. 


शिवम नाम के एक यूजर ने सोशल मीडिया पर इस क्लिप को शेयर करते हुए कहा कि दिव्या को तुरंत आईआईटी से निकाल देना चाहिए. 


एक और यूजर मिस्टर एनन का कहना है कि प्रोफेसर दिव्या ने इस इंटरव्यू जरिये में भारत में जातिवाद और ब्राह्मणवाद जैसे काफी मजबूत मुद्दे को उठाया है. एक यूजर गुंजन पंडित का कहना है कि दिव्या द्विवेदी की बातों को सुनकर सोच में पड़ गई हूं कि आखिर वह अपने छात्रों को क्या पढ़ा रही हैं. उनके जैसे शिक्षक ही देश में धर्म और जाति के नाम पर नफरत फैला रहा है.