नई दिल्ली:  हर दिन के साथ अमेरिका और उत्तर कोरिया की ये दुश्मनी गहरी होती जा रही है. जिसमें कुछ भी हो सकता है. जिसमें परमाणु युद्ध भी शामिल है. लेकिन सवाल ये कि इस जानी दुश्मनी में भारत कहां से आ गया? उत्तर कोरिया की भारत से दुश्मनी भी नहीं है, तब उससे भारत को खतरा क्यों हैं? उसके हथियारों को भारत के लिए सिरदर्द क्यों बताया जा रहा है?


क्या उत्तर कोरिया की मिसाइलों की ज़द में भारत आता है

उत्तर कोरिया के पास 1000 किलो मीटर तक मार करने वाली नोडोंग मिसाइल है. इसकी ज़द में दक्षिण कोरिया आता है. लेकिन उत्तर कोरिया तीन ICBM होने का दावा करता है. जिसमें पहली KN-08 है, जिसकी मारक क्षमता 5,500-11,500 किलो मीटर है. दूसरी KN-14 है, जो 8,000-10,000 किलो मीटर तक हमला कर सकती है और आखिरी हुआसुंग-14 है, जिसके बारे में दावा है कि ये 10,400 किलो मीटर तक हमला कर सकती है.

भारत की चिंता उत्तर कोरिया और पाकिस्तान की मिलीभगत

उत्तर कोरिया का दावा है कि इन तीनों ही मिसाइलों से वो अमेरिका पर हमला बोल सकता है. सवाल वही है. भारत उत्तर कोरिया की मिसाइल से क्यों डरे. वो भी तब जब हम उसके तीसरे बड़े कारोबारी रह चुके हैं. दरअसल भारत की चिंता उत्तर कोरिया और पाकिस्तान की मिलीभगत है. पाकिस्तान की गौरी मिसाइल की मारक क्षमता 1300 से 1500 किलोमीटर तक है. जिसकी ज़द में जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, नागपुर, भोपाल और लखनऊ आता है. यानी जंग के हालात में पाकिस्तान भारत के बड़े शहरों पर हमला बोल सकता है.

पाकिस्तान के पास शाहीन टू भी है. जिसकी मारक क्षमता 2500 किलो मीटर तक है. जिसकी जद में भारत के ज्यादातर शहर भी हैं. इसमें कोलकाता भी शामिल है. लेकिन फिर भी गौरी मिसाइल को पाकिस्तान का गेम चेंजर माना जाता है.

क्या है गौरी मिसाइल ?

गौरी मिसाइल पाकिस्तान की पहली बैलेस्टिक मिसाइल है, जो पारंपरिक हथियारों के साथ, परमाणु हथियार भी ले जा सकती है. गौरी मिसाइल पाकिस्तान को उत्तर कोरिया से हासिल हुई. पाकिस्तान ये बात कबूल नहीं करता. लेकिन हकीकत ये है कि गौरी मिसाइल और उत्तर कोरिया की नोडोंग मिसाइल की तकनीक हू-ब-हू है. जिसे परमाणु तकनीक के बदले में पाकिस्तान को दिया गया. ये बात खुद पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने अपनी किताब में लिखी है. पाकिस्तान ने उत्तर कोरिया को पैसे देकर नोडॉन्ग मिसाइल का डिज़ाइन ख़रीदा था. इस वजह से उत्तर कोरिया के ताजा मिसाइल परीक्षण और हाइड्रोजन बम बनाने का दावा भारत के लिए खतरे की घंटी है. क्योंकि भारत को डर है कि उत्तर कोरिया से सांठ-गांठ करके पाकिस्तान उसके परमाणु हथियारों और मिसाइलों का फायदा उठा सकता है.

हथियारों के मामले में पाकिस्तान भारत से आगे

ये खतरा इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि परमाणु हथियारों के मामले में पाकिस्तान भारत से आगे निकल चुका है. अनुमान है कि पाकिस्तान के पास करीब 130-140 परमाणु हथियार हैं जबकि भारत के पास 110-120 हथियार हैं. लेकिन यहां सवाल ये है कि भारत से ज्यादा बम बनाने की जरूरत क्या है. क्या इसमें से कुछ बम वो उत्तर कोरिया के लिए बना रहा है. संडे गार्डियन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि  2016 में उत्तर कोरिया ने जो परमाणु विस्फोट किए थे. उसमें इस्तेमाल बम पाकिस्तान में बने थे. अखबार ने ये दावा पूर्वी एशिया में परमाणु कार्यक्रम पर बारीक और गुप्त रूप नजर रखने वाले विशेषज्ञों के हवाले से दिया है.

जाहिर है इस खुलासे से उत्तर कोरिया के हाइड्रोजन बम बनाने का दावा भारत का सिरदर्द बढ़ा सकता है. ऐसे में यहां एक सवाल खड़ा होता है. वो ये कि क्या उत्तर कोरिया का परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम भारत के लिए मुसीबत बन सकता है.

चीन की मदद से पाकिस्तान बढ़ा रहा है अपने हथियारों की मारक क्षमता

भारत की चिंता यहीं खत्म नहीं होती है. क्योंकि पाकिस्तान चीन की मदद से अपने हथियारों की मारक क्षमता बढ़ाने में लगा हुआ है.  खबर है कि पाकिस्तान अपने यूरेनियम आधारित न्यूक्लियर प्रोग्राम से आगे बढ़कर प्लूटोनियम आधारित न्यूक्लियर प्रोग्राम पर काम कर रहा है, जिससे हथियारों और मिसाइलों की क्षमता और बढ़ जाती है.

इसी सिलसिले में पाकिस्तान ने बैलिस्टिक मिसाइल अबाबील का परीक्षण किया है. जिसकी मारक क्षमता 2200 किलोमीटर है. इस मिसाइल के साथ MIRV पेलोड को भी छोड़ा गया. MIRV पेलोड का अर्थ है कि एक ही मिसाइल में कई परमाणु हथियार लोड किए जा सकते हैं और सभी अलग-अलग लक्ष्यों को निशाना बना सकते हैं.

तो यहां ये कहा जा सकता है कि चीन के संसाधन और पाकिस्तान की परमाणु तकनीक से टेररिज्म के टेस्ट ट्यूब बेबी के रूप में उत्तर कोरिया का खतरा दुनिया को मिला है. जो सारी दुनिया के साथ साथ भारत के लिए भी बहुत खतरनाक है.