नई दिल्ली: अब देश में एम्स समेत सभी मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए केवल एक ही परीक्षा पास करनी पड़ेगी. वहीं डॉक्टरों को प्रैक्टिस करने के लिए लाइसेंस लेना है तो एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद एक और परीक्षा पास करनी होगी. मोदी सरकार ने इस मामले में आज एक बिल को मंजूरी दी है जिसे मौजूदा सत्र में संसद में पेश किया जाएगा.


NEET (नीट) के ज़रिए होगा एडमिशन
देश में मेडिकल की पढ़ाई को लेकर बुधवार को मोदी सरकार ने एक बड़ा कदम बढ़ाया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बिल को मंजूरी दे दी गई. बिल में प्रावधान किया गया है कि एम्स समेत देश के सभी सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए अब एक परीक्षा होगी. एडमिशन के लिए छात्रों को सीबीएसई द्वारा आयोजित नीट (NEET) की परीक्षा पास करनी होगी.


प्रैक्टिस के लाइसेंस के लिए भी अब होगी परीक्षा
बिल में जो एक दूरगामी प्रभाव वाला प्रावधान किया गया है वो जुड़ा है डॉक्टरों को प्रैक्टिस के लिए मिलने वाले लाइसेंस से. इसके मुताबिक़ अब उन्हीं एमबीबीएस छात्रों को प्रैक्टिस के लिए लाइसेंस मिल सकेगा जो नेशनल एग्जिट टेस्ट ( NEXT) पास करेंगे. अबतक एमबीबीएस की डिग्री मिलते ही प्रैक्टिस की इजाज़त मिल जाती है. वैसे NEXT की परीक्षा वैसे छात्रों को भी पास करनी होगी जो एमडी या अन्य उच्चतर कोर्स करना चाहते हैं. बिल का ये प्रावधान देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज से पास आउट होने वाले छात्रों पर समान रूप से लागू होगा.


फीस की निगरानी का प्रावधान भी है बिल में
बिल में वर्तमान के मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की जगह राष्ट्रीय मेडिकल आयोग बनाए जाने का प्रावधान किया गया है....जो एक स्वायत्त इकाई होगी. आयोग को मेडिकल कॉलेजों ,खासकर प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों, में फीस को नियमित करने का भी अधिकार दिया जाएगा. कैबिनेट की बैठक के बाद एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने दावा किया कि बिल के संसद से पारित होने के बाद देश में मेडिकल की पढ़ाई और डॉक्टरों की गुणवत्ता में बड़ा बदलाव लाने का रास्ता प्रशस्त हो जाएगा. जावड़ेकर ने कहा कि नई व्यवस्था में प्रतिभा को उचित सम्मान मिल सकेगा.


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