नई दिल्ली: गुजरात के विधायक व दलित नेता जिग्नेश मेवानी के एक विरोध जुलूस कार्यक्रम को पुलिस द्वारा इजाजत नहीं दिए जाने के बावजूद मंगलवार को सैकड़ों लोग दिल्ली के संसद मार्ग पर एकत्रित हुए. इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए संसद मार्ग पर अवरोध लगाए गए.
जिग्नेश ने कहा,"हम जोड़ने की राजनीति करने आए हैं. हम किसी जाति समाज के खिलाफ नहीं हैं. हम पर चाहे जितने मुकदमें हों लेकिन हम संविधान की ही बात करेंगे. हमने 150 के गुरुर को तोड़ कर 99 पर ला दिया इसीलिए मुझे टारगेट किया जा रहा है. उन्होंने कहा,"देश में उथल-पुथल हो रही है और संविधान खतरे में है. महाराष्ट्र में हुई हिंसा का जवाब जिग्नेश मेवानी को नहीं मोदी जी को देना है. उनको जवाब देना है कि ऊना, सहारनपुर और कोरेगांव में क्या हो रहा है?" मेवानी ने कहा," देश की 125 करोड़ जनता देख रही है. चंद्रशेखर को रिहा करो, संविधान को लागू करो, इतनी बात कहने का अधिकार भी चुने हुए प्रतिनिधि को नहीं है? यही गुजरात मॉडल है? मेरे एक हाथ में मनुस्मृति है और दूसरे में संविधान. हम पीएम से पूछते हैं कि वे किसे चुनते हैं?" संयुक्त पुलिस आयुक्त अजय चौधरी ने संवाददाताओंसे कहा, "किसी को भी (रैली आयोजित करने के लिए) इजाजत नहीं दी गई." चौधरी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश का हवाला दिया जिसमें मध्य दिल्ली में जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन पर प्रतिबंध लगाया गया है. उन्होंने कहा, "हमने आयोजकों को किसी अन्य स्थान पर जैसे रामलीला मैदान में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने को कहा है."मेवानी ने गुरुवार को कहा था कि वह व उनके समर्थक मंगलवार को जंतर मंतर से प्रधानमंत्री कार्यालय तक जुलूस निकालेंगे. गुजरात के विधायक ने प्रदर्शन के लिए इजाजत से इनकार करने पर पुलिस व केंद्र सरकार की निंदा की. कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने से पहले मेवानी ने संवाददाताओं से कहा, "एक चुने गए प्रतिनिधि को बोलने की अनुमति नहीं है. यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हम सिर्फ लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने जा रहे थे. लेकिन सरकार हमें निशाना बना रही है."
असम के आरटीआई व किसान अधिकार कार्यकर्ता अखिल गोगोई के भी रैली को संबोधित करने की उम्मीद है. गोगोई शिक्षा का अधिकार, बेरोजगारी व लैंगिक व समाजिक न्याय पर अपनी बात रखेंगे.