CBI Registered Case Against Mehul Choksi: देश की बैंकों को 12 हजार करोड़ रुपये का चूना लगाकर विदेश भाग गये मेहुल चोकसी (Mehul Choksi) के खिलाफ सीबीआई (CBI) ने एक और मुकदमा दर्ज किया है. इस बार चौकसी और उसके सहयोगियों पर केनरा बैंक (Canara Bank) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank Of Maharashtra) को 55 करोड़ रुपये से ज्यादा की धोखाधड़ी करने का आरोप है.


सीबीआई प्रवक्ता आर सी जोशी के मुताबिक सीबीआई ने बैंक धोखाधड़ी के दो अलग-अलग मामले दर्ज किए हैं. इनमें एक मामला 55 करोड़ रुपये से ज्यादा का है और दूसरा मामला लगभग 36 करोड़ रुपये का है. इनमें से पहले मामले में मेहुल चौकसी, मिसेज चेतना जयंतीलाल झावेरीस दिनेश गोपाल दास भाटिया, मिलिंद अनंत समेत एक कंपनी बेजल ज्वेलरी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड मुंबई को आरोपी बनाया गया है. यह सभी इस कंपनी के निदेशक बताए जाते हैं. 


किन आरोपों में दर्ज हुआ है मामला?
पहले मामले में आरोप है कि इस निजी कंपनी को कंसोर्सियम व्यवस्था के तहत केनरा बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र द्वारा 30 करोड़ और 25 करोड़ की पूंजी दी गई थी. यह सुविधा सोने और हीरे के आभूषणों को बनाने के लिए दी गई थी. आरोप है कि कंपनी ने इस पैसे का उपयोग काफी समय से पड़े उधार को चुकाने के लिए किया था. इसके लिए उसने लोन से मिले पैसे को अपनी दूसरी कंपनियों में पूरी तरह से डायवर्ट कर दिया.


जांच एजेंसी को नहीं मिला कोई भी व्यावसायिक लेन देन
दिलचस्प यह है कि जांच के दौरान इस कंपनी के खाते में जांच एजेंसी को कोई भी व्यावसायिक लेन-देन नहीं मिला. आरोप है कि कंपनी ने बैंकों द्वारा लागू किए गए नियम को लागू ही नहीं किया और तमाम नियम कानूनों को ताक पर रखकर पैसा एक जगह से दूसरी जगह भेजते रहे. साथ ही बैंक द्वारा दिए गए लोन को भी वापस नहीं किया. 


जिसके चलते बैंकों को 55 करोड़ 87 लाख रुपये का नुकसान हुआ. ध्यान रहे कि मेहुल चौकसी भारतीय बैंकों से 12 हजार करोड़ रुपये का घोटाला करने के बाद अपने भांजे नीरव मोदी के साथ विदेश भाग गया था. नीरव मोदी तो लंदन में पकड़ा गया और फिलहाल जेल में है लेकिन मेहुल चौकसी अभी भी घोटाले के पैसे से विदेश में मौज कर रहा है.


क्या बोले सीबीआई प्रवक्ता?
सीबीआई प्रवक्ता के मुताबिक बैंक फ्रॉड के दूसरे मामले में मुंबई की परम शक्ति स्टील्स लिमिटेड और उसके निदेशकों राजेंद्र कुमार चौधरी पंकज और सुमित आहूजा सम्मेद अज्ञात सरकारी और निजी लोगों को आरोपी बनाया गया है. इस मामले में आरोप है कि उप कंपनी और अन्य आरोपियों ने साल 2014 से 2016 की अवधि के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के लेटर ऑफ क्रेडिट का लाभ उठाने के लिए 35 करोड़ 89 लाख रुपये की धोखाधड़ी की.


जांच में फर्जी पाई गईं ये रसीदें
इस मामले में यह भी आरोप है कि मुंबई (Mumbai) में एक निजी कंपनी की मोटर लारी रसीदों को एलसी दस्तावेजों के हिस्से के रूप में आरोपी द्वारा दिखाया गया. जांच में यह रसीद भी फर्जी पाई गईं. सीबीआई (CBI) ने इन दोनों मामलों में मुकदमा दर्ज कर आज अनेक जगहों पर छापेमारी की. इस छापेमारी के दौरान अनेक आपत्तिजनक दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस बरामद हुए हैं जिनके आकलन का काम किया जा रहा है और मामले की जांच जारी है.




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