लखनउ: नरेन्द्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी के फ़ैसले चौंकाने वाले होते हैं. किसी को भनक तक नहीं लगती है कि क्या होने वाला है? उत्तर प्रदेश में बीजेपी के नए अध्यक्ष का एलान भी ऐसा ही रहा. केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री महेन्द्र नाथ पांडेय को ये नई ज़िम्मेदारी मिली है. वे वाराणसी से सटे चंदौली के लोक सभा सांसद हैं. पांडेय 4 सितंबर को लखनऊ आकर अपना काम शुरू करेंगें. वे डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की जगह लेंगें.


मोदी कैबिनेट में संभावित फेर बदल से पहले ही महेन्द्र नाथ पांडेय को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बना दिया गया. चर्चा तो दूसरे नामों की हो रही थी. कहा जा रहा था कि पीएम नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य पूर्वांचल से हैं, इसीलिए पश्चिमी यूपी से ही कोई अध्यक्ष बनेगा और वो भी पिछड़ी जाति से. पहले तो किसी दलित चेहरे को ये ज़िम्मेदारी देने की बात थी. लेकिन रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनते ही ये संभावना ख़त्म हो गई. पिछड़े नेताओं में केन्द्रीय मंत्री संजीव बालियान से लेकर पार्टी के प्रदेश महामंत्री अशोक कटारिया का नाम बीजेपी अध्यक्ष की रेस में था. लेकिन एक ब्राह्मण नेता ने बाज़ी मार ली.


महेन्द्र नाथ पांडेय को जब 2014 में चंदौली से लोक सभा का टिकट मिला तो वे चुनाव लड़ने से हिचकिचाने लगे. उन दिनों अमित शाह बीजेपी के यूपी प्रभारी थे. उनके बहुत समझाने पर पांडेय ने बेमन से नामांकन का पर्चा भरा. वे ग़ाज़ीपुर के रहने वाले हैं. वे विधायक के साथ-साथ यूपी बीजेपी सरकार में नियोजन मंत्री रहे. 2009 का लोक सभा चुनाव भदोही से लड़े, लेकिन हार गए बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में छात्र संघ के नेता भी रहे.


महेन्द्र नाथ पांडेय को बीजेपी अध्यक्ष बना कर पार्टी ने यूपी में अगड़ों को साधने की कोशिश की है. यहां 22 प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं. क़रीब 12 फ़ीसदी तो ब्राह्मण ही हैं. योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद से ही यूपी का ब्राह्मण समाज बेचैन है. राज्य के डीजीपी और एडवोकेट जनरल से लेकर 30 जिलों में ठाकुर जाति के डीएम बनाये जाने पर बहस शुरू हो गई थी. फिर रायबरेली में 5 ब्राह्मणों की हत्या ने तो आग में घी का काम किया. इस मुद्दे पर तो योगी सरकार के मंत्री ही आपस में भिड़ गए. वैसे तो डिप्टी सीएम, दिनेश शर्मा भी ब्राह्मण हैं. लेकिन उनकी छवि कभी भी ब्राह्मण नेता की नहीं रही है.


महेन्द्र नाथ पांडे को यूपी बीजेपी का अध्यक्ष बनाये जाने से कलराज मिश्र की कुर्सी ख़तरे में पड़ सकती है. वे मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं. उम्र 75 साल पार कर गई है. कई बार उन्हें कैबिनेट से ड्रॉप करने की ख़बर उड़ चुकी है. हो सकता है कलराज जैसे बड़े ब्राह्मण नेता को हटाने से पहले उसी जाति के पांडे को बीजेपी अध्यक्ष बनाना बेहतर समझा गया हो. जहां तक बात रही अति पिछड़ी जातियों की तो शायद मोदी और शाह की जोड़ी ने कुछ और सोच रखा हो.