Maharashtra Poltics: यूपीए 2 के दौरान देश के गृहमंत्री रहे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने अपने रिटायरमेंट की घोषणा कर दी है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी घोषणा की और कहा कि अब उनकी संसदीय सीट सोलापुर से उनकी बेटी प्रणिति शिंदे अगला लोकसभा चुनाव लड़ेंगी. विजयादशमी के दिन ऐसी घोषणा करने वाले नारायण राणे पहले ऐसे नेता नहीं थे, ठीक उसी दिन एक और कांग्रेस नेता निलेश राणे ने सक्रिय राजनीति से रिटायर होने का फैसला किया है.


सुशील कुमार संभाजी शिंदे  का जन्म 4 सितंबर 1941 को महाराष्ट्र में हुआ था. कांग्रेस पार्टी के नेता के रूप में शिंदे कई पदों पर रह चुके हैं. वह पहली बार 2003 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने थे और 4 नवंबर 2004 तक उन्होंने राज्य की सत्ता अपने हाथों में ली हुई थी. इसके बाद, वह आंध्र प्रदेश के राज्यपाल बने और 2006 तक इस पद पर आसीन रहे.


सीएम, राज्यपाल, बिजली मंत्री और फिर बने देश के गृहमंत्री 
सुशील कुमार शिंदे ने 2006 से लेकर 2012 तक भारत के ऊर्जा मंत्री के तौर पर काम किया, बाद में जब प्रणब मुखर्जी इस देश के राष्ट्रपति बने तो उनको 2012 में भारत का गृह मंत्री नियुक्त किया गया. वह 2014 तक देश के गृहमंत्री रहे. सक्रिय राजनीति में उनका करियर 1971 में शुरू हुआ था जब उन्होंने कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता ली थी.


वह 1974 से लेकर 1992 तक महाराष्ट्र विधानसभा का हिस्सा रहे. 1992 से मार्च 1998 के दौरान वह महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए चुने गए और 1999 में, उन्होंने उत्तर प्रदेश के अमेठी में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के कैंपेन मैनेजर के तौर पर काम किया.


राष्ट्रीय राजनीति में प्रणिति संभालेंगी कमान 
शिंदे के रिटायरमेंट के ऐलान के साथ 42 वर्षीय प्रणिति शिंदे अपने पिता की पारंपरिक सीट पर कमान संभालेंगी. वह सोलापुर से तीन बार की विधायक हैं और कांग्रेस वर्किंग कमिटी में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं. प्रणिति शिंदे ने विश्वास जताया कि इस बार चाहे कुछ भी हो, सोलापुर का सांसद कांग्रेस का होगा. सोलापुर लोकसभा सीट की बात करें तो यहां से अभी बीजेपी के डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य सांसद हैं. 


साल 2019 के चुनाव में डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य ने शिंदे को चुनाव हरा दिया था, उस समय ही शिंदे ने कहा दिया था कि ये उनका आखिरी चुनाव है लेकिन  प्रकाश अंबेडकर और बीजेपी से डॉ. जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य मैदान में थे, इसलिए सुशील कुमार शिंदे वह चुनाव नहीं जीत सके.


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