Pregnant Women Adoption In Karnataka: कर्नाटक के उत्तर कन्नड़ जिले में जिला प्रशासन की एक शानदार पहल के तहत अधिकारियों ने ऐसी महिलाओं की देखरेख की पहल की है जो गर्भवती हैं और गरीब तबके से हैं. इसके तहत गर्भवती महिलाओं को अधिकारियों की ओर से गोद ले लिया जा रहा है, जिसकी वजह से इन महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच, दवाइयों की आपूर्ति, पौष्टिक आहार आदि मिल रहे हैं.


गर्भ में पल रहे नौनिहालों के इस दुनिया में आंख खोलने से पहले उसे मुफलिसी की वजह से दम न तोड़ना पड़े, इसके लिए देवदूत बने अधिकारियों की यह शानदार पहल अनुकरणीय बन गई है.


राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत पंजीकृत हुई हैं महिलाएं


उत्तर कन्नड़ जिले के जोइदा शहर की रहने वाली पार्वती नाइक उन 358 महिलाओं में से हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत पंजीकृत करवाया है और जिले के अधिकारियों द्वारा उनकी देखरेख हो रही है.


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वह कहती हैं, "गोद लेने के बाद नियमित रूप से जांच की जा रही है. आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से पौष्टिक आहार मिल रहे हैं. दूध, अंडे, निर्धारित दवाएं सब कुछ समय पर मिल रहा है. वह गरीब परिवार से हैं."


गरीब गर्भवती महिलाओं के लिए जिला प्रशासन की पहल


जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के अनुसार राज्य की यह अपनी तरह की पहली पहल है जिसका उद्देश्य गर्भावस्था के दौरान और बाद में नवजात शिशु के साथ-साथ जन्म देने वाली मां की मृत्यु दर को कम करना है. इस पहल के तहत उत्तर कन्नड़ जिला प्रशासन के शीर्ष पदों पर बैठे अधिकारियों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन योजना के तहत पंजीकृत प्रत्येक गर्भवती महिला को गोद लिया है.


इस महिला अधिकारी ने की है पहल


इस शानदार पहल की शुरुआत उत्तर कन्नड़ की डिप्टी कमिश्नर गंगूबाई मानकर ने की है. वह कहती हैं, "जिले में 358 पंजीकृत महिलाएं हैं. मैंने खुद ही जिला अधिकारियों के साथ बैठक में यह प्रस्ताव रखा था और खुशी है कि अधिकारियों ने बिना किसी दबाव के गर्भवती महिलाओं को गोद लेना शुरू किया है. " उन्होंने उम्मीद जताई है कि इस योजना की नेकदिली और अच्छे उद्देश्यों को देखते हुए इसे पूरे राज्य में विस्तार किया जा सकता है.


उन्होंने इस पहल में आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका की सराहना की. मानकर बताती हैं कि नियमित तौर पर गर्भवती महिलाओं के घर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ता दौरा कर रही हैं. उन्हें अस्पताल ले जाती हैं और आवश्यक मदद कर रही हैं. गंगूबाई ने खुद ही मल्लरपुर गांव की एक महिला को गोद लिया है. वह कहती हैं कि डॉक्टर उस महिला और परिवार के संपर्क में लगातार हैं तथा हर तरह की जरूरत पूरी कर रहे हैं.


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