Madarsa Education: उत्तर प्रदेश में मदरसों में दी जा रही शिक्षा को बदलने के लिए योगी सरकार नई पहल कर रही है. मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए अब यूपी-टीईटी परीक्षा (UP-TET) को अनिवार्य करने की कवायद की जा रही है. मदरसा बोर्ड (Madarsa Board) ने एक प्रस्ताव भेजकर सिफारिश की है कि मदरसों में शिक्षक भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य किया जाए. सरकार की इस पहल को मुस्लिम धर्मगुरु सही नहीं मान रहे हैं और सरकार से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार की अपील कर रहे हैं.


मदरसों को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए योगी सरकार ने बड़ा फैसला करने जा रही है. मदरसा बोर्ड की सिफारिश को मंजूरी मिली तो उसके बाद सिर्फ टीईटी पास शिक्षक ही मदरसों में पढ़ा सकेंगे. साथ ही मदरसों में अब दीनी तालीम के अलावा इंग्लिश, साइंस, मैथ्स, हिंदी, समाजशास्त्र और कम्प्यूटर की शिक्षा भी दी जाएगी. इसको लेकर जल्द ही नियमावली में संशोधन किया जाएगा.


क्या बोले यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री?
यूपी के अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री दानिश आज़ाद अंसारी ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि मदरसा बोर्ड ने टीईटी अनिवार्यता का प्रस्ताव शासन को भेजा है. मदरसों में दीनी तालीम के साथ साथ सामान्य विषयों को भी शामिल करने की सिफारिश की गई है.


मंत्रालय ने इस सिफारिश को शासन को भेज दिया है. संभव है सरकार से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाये. दानिश आज़ाद अंसारी ने बताया कि दीनी तालीम ज़रूरी है लेकिन उसके साथ साइंस, मैथ्स, इंग्लिश और कंप्युटर की शिक्षा भी मुस्लिम युवाओं को मिलनी चाहिए जिससे वो बेहतर शिक्षा पाकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को पास कर नौकरी पा सकें.


शासन की सिफारिशों को क्यों गैरजरूरी मान रहे हैं मुस्लिम धर्मगुरू?
शासन को भेजी गई इस सिफारिश को मुस्लिम धर्मगुरु गैर जरूरी मान रहे हैं. शिया धर्मगुरु मौलाना यासूब अब्बास ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि सरकार को इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि मदरसों का एक तय सिलेबस होता है.


सरकार अगर आधुनिक शिक्षा देना चाहती है तो अलग से स्कूल खोल ले लेकिन दीनी तालीम में दखलअंदाजी करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि इस्लाम की पढ़ाई मदरसों में होती है और उसमें जबरन बदलाव सही नहीं रहेगा, इसलिए सरकार इसपर पुनर्विचार करे.


किन पार्टियों ने किया विरोध?
समाजवादी पार्टी ने प्रस्ताव का विरोध किया है. सपा प्रवक्ता अमीक जमाई ने कहा कि सरकार मदरसों का स्वरूप बिगाड़ने में लगी है, जो ठीक नहीं है. मदरसों में कुरान और हदीस पढ़ाई जीती है जिसको जानबूझकर बदलने की कोशश की जाती है. उन्होंने आरोप लगाया कि 2017 से यूपी में एक भी मदरसा टीचर की भर्ती नहीं की गई है.


उर्दू को खत्म कर सरकार ने संस्कृत को अनिवार्य कर दिया. सरकार को संस्कृत के साथ उर्दू को ऑप्शनल रखना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि मोदी ने कहा था कि मदरसों के बच्चों के एक हाथ में कुरान और एक में कंप्युटर देंगे लेकिन पूरे यूपी में एक भी मदरसे में कम्प्यूटर नहीं पहुंचा. साथ ही शिक्षकों की तनख़्वाह के लिए केंद्र और राज्य को पैसे तक नहीं भेजे जा रहे हैं.


मुस्लिम धर्मगुरुओं के विरोध का फैसला
यूपी में मदरसों (Madarsa) की पढ़ाई में बदलाव को लेकर लंबे समय से चर्चा चल रही है. मदरसा बोर्ड (Madarsa Board) के प्रस्ताव को अगर मंजूरी मिलती है तो संभव है कि मुस्लिम धर्मगुरू और मदरसा संचालक इसका विरोध शुरू कर दें क्योंकि मुस्लिम धर्मगुरु नहीं चाहते कि दीनी तालीम देने वाले मदरसों की पढ़ाई में किसी तरह का कोई बदलाव किया जाए.


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