LIVE Updates: CAA पर SC के आदेश पर तरुण गोगोई बोले- हमें विश्वास है कि हमारी जीत होगी

इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, एस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना के सामने सुनवाई के लिए याचिकाएं लगी हैं. इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, एस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना के सामने सुनवाई के लिए याचिकाएं लगी हैं. सभी याचिकाओं में संसद से पास नए कानून को संविधान के खिलाफ बताया गया है.

ABP News Bureau Last Updated: 22 Jan 2020 04:16 PM
असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि अभी भले ही सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक नहीं लगाई है लेकिन हमें भरोसा है कि इस पर रोक लगेगी और हमारी विजय होगी. उन्होंने कहा कि इस कानून के खिलाफ सबसे पहले असम और पूर्वोत्तर में ही विरोध शुरू हुआ लेकिन आज पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है. हम केंद्र के इस काले कानून का विरोध करते हैं. बता दें कि तरण गोगोई भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता हैं.
सुनवाई में सभी पक्ष की दलील सुनने के बाद चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार को 6 नहीं, 4 हफ्ते देंगे, अभी कोई आदेश नहीं देंगे. सीजेआई ने कहा कि सभी याचिकाओं पर सरकार चार हफ्ते में जवाब दे. मामले की सुनवाई की प्रक्रिया तय करने के लिए जज वरिष्ठ वकीलों के साथ बैठक करेंगे. असम पर अलग से सुनवाई नहीं होगी.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अभी भी हमें 84 याचिकाओं का जवाब देना होगा, इसमें 6 हफ्ते लगेंगे. याचिकाकर्ताओं की ओर से मौजूद वकीलों ने इतने समय की मांग का विरोध किया. इसके साथ ही एक और बड़ी खबर सुप्रीम कोर्ट से निकल आई है कि इस मामले में अब और याचिका स्वीकार नहीं किया जाएगा. मौजूदा 144 याचिकाओं पर ही सुनवाई होगी.
कपिल सिब्बल ने कहा कि यूपी में लोगों के नाम के आगे टिक और क्रॉस लगाया जा रहा है, इससे भय का माहौल है. यह सब 2 महीने के लिए रोक देने से क्या नुकसान हो जाएगा. सिब्बल ने यह भी कहा कि अभी कानून के नियम तय नहीं हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने कार्यवाही शुरू कर दी है? एक वकील ने असम के साथ त्रिपुरा पर भी सुनवाई की मांग की, उन्होंने कहा कि अगर असम की तरह ही त्रिपुरा पर भी सुनवाई हो.
एक याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि लोगों की नागरिकता सरकारी बाबुओं के भरोसे छोड़ दी जाएगी. एटॉर्नी जनरल ने इसका विरोध किया. इसके बाद उन्होंने कुछ वकीलों ने असम से जुड़े मामलों को अलग से सुनने की मांग की. CJI ने उन याचिकाओं का ब्यौरा देने को कहा. चीफ जस्टिस ने CJI ने AG से पूछा- आप असम मामले पर कब जवाब देंगे? एटॉर्नी जनरल ने कहा दो हफ्ते में जवाब देंगे.
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि आप 144 से आगे किसी याचिका को लिस्ट न करने का आदेश दे दें, सॉलिसिटर जनरल ने भी सुझाव को दोहराया. इसके बाद कपिल सिब्बल ने फिर बोलना शुरू किया. सिब्बल ने कहा कि आज कम से कम संविधान पीठ के गठन का आदेश दे दीजिए. हम कानून पर रोक नहीं मांग रहे, आप उसके अमल को 2 महीने के लिए निलंबित कर दें. एटॉर्नी जनरल ने आप दूसरी तरह से रोक ही मांग रहे हैं. चीफ जस्टिस ने भी कहा कि ऐसा करना रोक लगाना ही माना जाएगा.
एटॉर्नी जनरल ने कहा कि आप 144 से आगे किसी याचिका को लिस्ट न करने का आदेश दे दें, सॉलिसिटर जनरल ने भी सुझाव को दोहराया. इसके बाद कपिल सिब्बल ने फिर बोलना शुरू किया. सिब्बल ने कहा कि आज कम से कम संविधान पीठ के गठन का आदेश दे दीजिए. हम कानून पर रोक नहीं मांग रहे, आप उसके अमल को 2 महीने के लिए निलंबित कर दें. एटॉर्नी जनरल ने आप दूसरी तरह से रोक ही मांग रहे हैं. चीफ जस्टिस ने भी कहा कि ऐसा करना रोक लगाना ही माना जाएगा.
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा- इस मामले को भी प्राथमिकता देनी होगी. वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने कहा कि देर करने पर न बदली जा सकने वाली स्थिति हो जाएगी. इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि हर याचिका सरकार के पास जानी ज़रूरी है. राजीव धवन ने कहा कि संख्या से ज़्यादा विषय ज़रूरी है, हर पक्ष से वकीलों की सीमा तय करें. हमारी तरफ से सिर्फ सिब्बल ही जिरह करें तो मुझे दिक्कत नहीं.
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि हमने इनकी याचिका भी नहीं देखी. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम एकतरफा आदेश नहीं देंगे. विकास सिंह ने कहा कि 40 लाख लोगों को नागरिकता मिल जाएगी। इससे असम के कई इलाकों की डेमोग्राफी बदल जाएगी.
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा- आज आप यह तय कर दीजिए कि मामला संविधान पीठ में जाए या नहीं. हम रोक नहीं मांग रहे लेकिन नागरिकता देकर उसे वापस नहीं ले सकते। इसलिए कुछ आदेश होना चाहिए. इसके साथ ही सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हज़ार की पहचान हुई है. सिब्बल ने इस पहलू पर खास तौर पर सुनवाई की तारीख तय करने की मांग की. असम के एक पक्षकार के लिए पेश वकील विकास सिंह ने आज हैं अंतरिम आदेश की मांग की.
नागरिकता कानून के खिलाफ 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
हम कुछ याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेज सकते हैं. इस एटॉर्नी जनरल ने कहा कि 144 याचिकाएं हैं। हमें अभी तक 60 ही मिली हैं। हम उन्हीं पर जवाब दे पाए हैं। जब बाकी मिलेंगी तो जवाब देंगे.
नागरिकता कानून के खिलाफ 144 याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि
हम कुछ याचिकाओं को बड़ी बेंच के पास भेज सकते हैं. इस एटॉर्नी जनरल ने कहा कि 144 याचिकाएं हैं। हमें अभी तक 60 ही मिली हैं। हम उन्हीं पर जवाब दे पाए हैं। जब बाकी मिलेंगी तो जवाब देंगे.
थोड़ी देर में शुरू होगी CAA पर सुनवाई

नागरिकता कानून के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में आज 144 याचिकाओं पर सुनवाई होनी है. सुनवाई अबसे थोड़ी ही देर में शुरू हो जाएगी. ज़्यादातर याचिकाओं में CAA का विरोध किया गया है, इसके साथ ही एनपीआर और संभावित एनआरसी पर भी सवाल उठाए गए हैं. चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस संजीव खन्ना की बेंच सभी याचिकाओं की सुनवाई करेगी.

बैकग्राउंड

नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून यानी CAA को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज 144 याचिकाएं सुनवाई होनी है. ज़्यादातर याचिकाओं में CAA का विरोध किया गया है, इसके साथ ही एनपीआर और संभावित एनआरसी पर भी सवाल उठाए गए हैं.


 


17 दिसंबर को हुई पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कानून पर रोक लगाने से मना किया था. कोर्ट ने सरकार से याचिकाओं पर जवाब मांगते हुए कहा था कि जनवरी में मामले की विस्तार से सुनवाई होगी तभी कोई आदेश दिया जाएगा.


 


आज इस मामले में चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े, एस अब्दुल नज़ीर और संजीव खन्ना के सामने जो याचिकाएं सुनवाई के लिए लगी हैं, उनमें असम प्रदेश कांग्रेस, सीपीएम, कांग्रेस नेता जयराम रमेश, AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा, आरजेडी नेता मनोज झा, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिकाएं शामिल हैं. इसके अलावा केरल सरकार ने भी याचिका दाखिल की है. उस पर भी आज सुनवाई हो सकती है.


 


इसके अलावा कई याचिकाओं में NPR और NRC का भी मसला उठाया गया है. NRC पर पीएम और गृह मंत्री के बयानों में विरोधाभास होने की दलील देते हुए कोर्ट से सरकार से सफाई लेने की मांग की गई है. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि कोर्ट सरकार से पूछे कि NPR, NRC की तैयारी के लिए तो नहीं किया जा रहा है. याचिकाओं में सरकार को NRC लाने से रोकने की भी मांग की गई है.

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