Latest Trending News: दक्षिण कोरियाई पॉप बैंड बीटीएस (BTS) के दीवाने पूरी दुनिया में हैं. भारत में भी इस बैंड के लाखों प्रशंसक हैं, लेकिन तमिलनाडु में इनके कुछ ऐसे फैन भी हैं जिन्होंने इनसे मिलने की चाहत में हदें पार कर दीं. दरअसल, यहां की तीन स्कूली छात्राएं बिना पासपोर्ट के इनसे मिलने के लिए 14 हजार रुपये लेकर घर से निकल पड़ीं. हालांकि तीनों इसमें असफल रहीं.


रिपोर्ट के मुताबिक, तीनों घर से भागकर पहले विशाखापटनम जाने की तैयारी में थीं, लेकिन कटपाडी रेलवे स्टेशन पर तीनों आधी रात को खाना खाने के लिए उतरीं तो इनकी ट्रेन छूट गई. इसके बाद पुलिस को मामले की जानकारी मिली तो तीनों को चाइल्ड लाइन अधिकारियों के हवाले किया गया.


क्या है पूरा मामला


तमिलनाडु के करूर जिले के एक गांव में रहने वाली ये तीनों लड़कियां 13 वर्ष की हैं और एक सरकारी स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ती हैं. इन तीनों ने दक्षिण कोरियाई राजधानी सियोल जाने का फैसला किया. बाल कल्याण समिति के अधिकारी ने बताया कि पूछताछ में लड़कियों ने कहा है कि इनका प्लान दक्षिण कोरिया के लिए जहाज लेने का था. इसके लिए तमिलनाडु में थूथुकुडी और फिर वहां से आंध्र प्रदेश में विशाखापत्तनम के बंदरगाहों को चुना.


इसी प्लान के साथ तीनों लड़कियां 4 जनवरी को चुपचाप अपने घरों से बाहर निकल गईं और इरोड से ट्रेन पकड़कर चेन्नई पहुंच गईं. इन तीनों के पास मिलाकर कुल 14,000 रुपये थे. इन्हें भरोसा था कि इतने पैसों में वह बीटीएस तक पहुंच जाएंगी. काफी मशक्कत के बाद गुरुवार रात उन्हें चेन्नई के एक होटल में कमरा मिल गया. शुक्रवार को वह आगे बढ़ने के लिए इधर से उधर भटकती रहीं. थक-हाकर जब कोई विकल्प नहीं बचा तो इन्होंने अपने घर लौटने का फैसला किया. तीनों शुक्रवार को चेन्नई से ट्रेन में सवार हो गईं.


पुलिस को कटपाडी रेलवे स्टेशन के पास मिलीं तीनों


इस बीच लड़कियों के घरवाले इनके लापता होने की सूचना पुलिस को दे चुके थे. पुलिस ने आसपास के जिलों को अलर्ट कर दिया था. वहीं, कटपाडी रेलवे स्टेशन पर तीनों खाना खरीदने के लिए उतरीं तो इनकी ट्रेन छूट गई. स्टेशन पर इन्हें पुलिस ने पकड़कर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया.


छात्राओं संग अभिभावकों की भी की गई काउंसलिंग 


वेल्लोर जिला बाल कल्याण समिति के प्रमुख पी वेदनायगम ने बताया, "उन्हें वेल्लोर जिले में एक सरकारी सुविधा में रखा गया और उनके माता-पिता को बुलाया गया. इसके बाद पैरेंट्स और बच्चों के लिए काउंसलिंग सेशन का आयोजन किया गया. बातचीत के दौरान टीम को पता चला कि छात्राओं को बीटीएस से जुड़ी हर छोटी-छोटी जानकारी थी. उन्होंने बताया कि तीनों छात्राओं को केवल पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने को लेकर प्रोत्साहित किया गया, जबकि माता-पिता को सलाह दी गई कि वे इस बात पर नजर रखें कि उनके बच्चे क्या करते हैं. बच्चों को स्मार्टफोन और इंटरनेट दे रहे हैं तो उन पर लगातार नजर रखें."


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