Protests In Ladakh: जम्मू कश्मीर से अलग कर बनाए गए केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर एक बार फिर विरोध प्रदर्शन हुए हैं. शनिवार (3 फरवरी को) केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला. पूरा लद्दाख बंद रहा. लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा संयुक्त रूप से यह विरोध प्रदर्शन किया गया.


लेह में पड़ रही जमा देने वाली ठंड के बावजूद विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल हुईं. उन्होंने नारे लगाते हुए लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीटों की मांग की.


केंद्र के आश्वासन के बावजूद विरोध प्रदर्शन


इसके पहले भी लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया गया था. हालांकि उससे पहले केंद्र ने घोषणा की है कि लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता आयोजित की जाएगी. इसके बावजूद लोगों ने सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया और क्षेत्र में हड़ताल की. केंद्र ने पहले ही लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए राज्य मंत्री (गृह मामले) नित्यानंद राय की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है.


प्रतिनिधियों के चुनाव की मांग


विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए लद्दाख के लोगों ने कहा कि वे केंद्रशासित प्रदेश में नौकरशाहों के एक अंतहीन शासन के तहत नहीं रह सकते हैं. वे केवल पूर्ण राज्य का दर्जा चाहते हैं, जिसमें वे शासन के लिए अपने जन प्रतिनिधियों को चुन सकें. इसी के लिए प्रदर्शन में शामिल लोगों ने क्षेत्र में कम से कम दो लोकसभा सीटें तय करने की भी मांग की है.


बता दें कि पिछले साल 2023 के दिसंबर में केंद्र सरकार ने लद्दाख में अपनी पहली बैठक की थी और लेह और कारगिल के दोनों निकायों से अपनी मांगें को लेकर लिखित में देने को कहा था. आर्टिकल 370 को हटाए जाने के बाद अगस्त 2019 में तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केंद्रशासित प्रदेशों में बदल दिया गया था. लद्दाख को एक अलग केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया है.


ये भी पढ़ें:Punjab Politics: नवजोत सिंह सिद्धू पर होगी कार्रवाई? पंजाब कांग्रेस ने हाईकमान को लिखी चिट्ठी