Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव में टिकट न मिलने पर नाराज कर्नाटक की शिवमोगा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे बागी नेता और पूर्व सीएम केएस ईश्वरप्पा पर कल ही बीजेपी ने एक्शन लिया था. इस बीच बागी नेता केएस ईश्वरप्पा ने शिवमोगा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि मुझे अभी भी उम्मीद है, मुझे किसी निष्कासन का डर नहीं है. मैं चुनाव लड़ूंगा और जीतूंगा और फिर से बीजेपी में वापस जाऊंगा. शिवमोगा से पूर्व सीएम येदियुरप्पा के बेटे उम्मीदवार हैं.


वहीं, शिवमोगा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे केएस ईश्वरप्पा ने कहा कि मैं पांच बार कमल के चुनाव चिन्ह पर लड़ चुका हूं. बता दें कि, बीजेपी ने शिवमोग्गा लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़कर "पार्टी को शर्मिंदा करने के लिए" कल उन्हें 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है.


बेटे को टिकट न मिलने से थे नाराज


बता दें कि, कर्नाटक बीजेपी कार्यालय की ओर से सोमवार को ये जानकारी दी गई कि केएस ईश्वरप्पा हावेरी लोकसभा सीट से बेटे केई कांतेश को टिकट देने की मांग की थी, मगर, टिकट नहीं मिला. जिसके चलते वे नाराज चल रहे थे. इसके लिए उन्होंने पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा को जिम्मेदार ठहराते हुए दोषी ठहराया था. जिसके बाद उन्होंने खुद शिवमोगा से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान करते हुए नामांकन कर दिया है. वहीं, चुनाव आयोग से ईश्वरप्पा को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर गन्ना किसान चुनाव चिन्ह मिला है.  


केएस ईश्वरप्पा का कहना था कि बीएस येदियुरप्पा अपने बेटे को तो चुनावी मैदान में उतार रहे हैं, लेकिन मेरे बेटे को टिकट तक नहीं दिया गया.


पूर्व CM के बेटे के खिलाफ लड़ रहे चुनाव


दरअसल, केएस ईश्वरप्पा कर्नाटक के पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई राघवेंद्र के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं.  इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ईश्वरप्पा से नामांकन वापसी के लिए मनाने की कोशिश की थे, मगर वह नहीं माने. ईश्वरप्पा का कहना था कि बीएस येदियुरप्पा ने हीं उनके बेटे को टिकट नहीं मिलने दिया इसलिए वह खुद येदियुरप्पा के बेटे के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे हैं. हालांकि, इसके बाद बीजेपी ने उन्हें पार्टी में अनुशासनहीनता के लिए 6 साल के लिए निलंबित कर दिया है.


जबकि, बीजेपी की ओर से जारी लेटर में कहा गया है कि केएस ईश्वरप्पा का पार्टी के खिलाफ जाने और खुद निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने के फैसले से पार्टी की फडीहत हुई है.





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