Karnataka Politics: कर्नाटक में कांग्रेस की सिद्धारमैया सरकार बन चुकी है. राज्य में बंपर गुटबाजी के चलते काफी खींचतान के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लग सकी थी. अब राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया है. परमेश्वर ने मंगलवार (13 जून) को कहा कि कई दलित नेता, अभी और पहले भी जिनमें वो खुद भी शामिल हैं, सभी में मुख्यमंत्री बनने की पूरी क्षमता होने के बावजूद अवसरों से वंचित कर दिया गया.


परमेश्वर ने दलित समुदाय से एकजुट रहने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि दलितों के बीच की हीन भावना को जाना होगा. यही वजह है कि मैं खुले तौर पर कहता हूं कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा, मुझे क्यों नहीं बनना चाहिए. के एच मुनियप्पा दलित नेता और मंत्री, बसावलिंगप्पा या एन रचैया या रंगनाथ की क्षमता में क्या कमी है?


पार्टी के लिए खड़ी हो सकती है मुसीबत
हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए परमेश्वर ने दलितों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकार के लिए आवाज उठाएं और अपने वोट का सही इस्तेमाल करें और उन्हें संविधान के महत्व की याद दिलाएं. परमेश्वर ने पूर्व में भी खुले तौर पर अपनी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा व्यक्त की थी. इसके साथ ही उन्होंने पिछले महीने चुनाव नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस से सिद्धारमैया को चुने जाने पर पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व को चेतावनी दी थी कि अगर एक दलित को उपमुख्यमंत्री पद नहीं दिया जाता है तो वहां प्रतिक्रिया होगी और यह पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर देगी.


कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के दौरान थे उपमुख्यमंत्री 
एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार के दौरान परमेश्वर उपमुख्यमंत्री थे. वो सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख भी थे. वह 2013 का विधानसभा चुनाव कोराटागेरे से हार गए थे, जब वह केपीसीसी अध्यक्ष थे. तब परमेश्वर मुख्यमंत्री पद के दावेदार थे, लेकिन हारने के बाद उन्हें एमएलसी और सिद्धारमैया सरकार (2013-2018) में मंत्री बनाया गया था. कार्यक्रम में परमेश्वर ने ये भी दावा किया कि कांग्रेस कुछ समुदायों की उपेक्षा करने के कारण 2018 का चुनाव हार गई थी. 


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