Karnataka Hijab Row: कर्नाटक हिजाब मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों ने अलग-अलग फैसला सुनाया है. दोनों जजों की अलग राय होने के कारण अब ये मामला बड़ी बेंच को सौंप दिया गया है. इस पूरे मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी. वहीं, तब तक हाई कोर्ट का सुनाया फैसला लागू रहेगा. यानी, तीन जजों की बेंच जब तक फैसला सुनाए तब तक हिजाब पर बैन जारी रहेगा. 


आज सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस गुप्ता की ओर से कहा गया कि, हमारे विचार अलग होने के कारण इस मामले को चीफ जस्टिस के पास भेजा जा रहा है जिससे तीन बेंच का गठन हो. कोर्ट रूम में जस्टिस धूलिया ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, लड़कियों की शिक्षा अहम है. वो बहुत दिक्कतों का सामना कर पढ़ने आती हैं. हाई कोर्ट को धार्मिक अनिवार्यता के सवाल पर नहीं जाना चाहिए था. इसे व्यक्तिगत पसंद के तौर पर देखना चाहिए था. उन्होंने आगे कहा कि, मेरी राय अलग है. मैं कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला रद्द करता हूं. 


मैं अपील खारिज कर रहा हूं- जस्टिस गुप्ता 


वहीं इस मामले पर जस्टिस गुप्ता ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, मेरे विचार से इन सभी सवालों का जवाब याचिकाकर्ताओं के विरुद्ध जाता है. मैं अपील खारिज कर रहा हूं. दरअसल, इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में 10 दिन सुनवाई चली थी जिसके बाद 22 सितंबर को फैसले को सुरक्षित रखा गया था. 






इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं है- हाई कोर्ट


हाई कोर्ट के सुनाए फासले को देखें तो अदालत ने 11 दिनों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया था. उन्होंने कहा था कि, इस्लाम में हिजाब अनिवार्य नहीं है. हिजाब इस्लामिक परंपरा का हिस्सा बिल्कुल भी नहीं है. कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि, स्कूल-कॉलेजों में यूनिफॉर्म पहनना अनिवार्य करना ठीक है. कोई भी छात्र इससे इनकार नहीं कर सकता. इन शब्दों के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था. साथ ही ये भी साफ किया था कि, सरकार इस आदेश को जारी करे. कोर्ट ने इस दौरान ये भी कहा कि सरकार के पास शासनादेश जारी करने का पूरा अधिकार है.


यह भी पढ़ें.


मोहर्रम एक मातम का महीना, जश्न कैसे मना सकते हैं? मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर BJP ने कसा तंज