कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को हिजाब को लेकर बड़ा फैसला दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि हिसाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं है और कोर्ट ने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति वाली याचिकाएं खारिज कर दीं. यह फैसला आने के बाद केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस फैसले का स्वागत होना चाहिए. शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने को लेकर पिछले कई महीनों से विवाद चल रहा है. हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कुछ पार्टियों ने इसे मुद्दा भी बनाया था.


रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, "कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक फैसला दिया, मैं सोचता हूं उस फैसले का स्वागत करना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा है हमारी बेटियां किसी भी धर्म की हों, उन पर किसी भी तरह की बंदिश स्वीकृत नहीं है. स्कूल-कॉलेज का अगर ड्रेस कोड है, तो उसे हर मज़हब के लोगों को मानना चाहिए." एक तरफ बीजेपी के नेता इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ असदुद्दीन ओवैसी, महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला समेत कुछ नेताओं ने अदालत के इस फैसले पर निराशा जाहिर की है.


कर्नाटक हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम धर्म में आवश्यक धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है और उसने कक्षाओं में हिजाब पहनने की अनुमति देने के लिए मुस्लिम छात्राओं की खाचिकाएं खारिज कर दीं. अदालत ने इसके साथ ही राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध बरकरार रखा. तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि स्कूल की वर्दी का नियम एक उचित पाबंदी है और संवैधानिक रूप से स्वीकृत है, जिस पर छात्राएं आपत्ति नहीं उठा सकतीं. कर्नाटक सरकार ने हर किसी से आदेश का पालन करने का अनुरोध करते हुए कहा कि शिक्षा जरूरी है. 


गौरतलब है कि एक जनवरी को उडुपी में एक कॉलेज की छह छात्राएं ‘कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया’ द्वारा आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुई थीं और उन्होंने हिजाब पहनकर कक्षा में प्रवेश करने से रोकने पर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ रोष व्यक्त किया था. इसके बाद कर्नाटक समेत पूरे देश में यह मुद्दा गरमा गया था और मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया था. 


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