बेंगलुरुः पत्रकार गौरी लंकेश की 2017 में हत्या के एक प्रमुख आरोपी की जमानत याचिका को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज खारिज कर दिया. अप्रैल में हाईकोर्ट की एकल पीठ ने अरोपी के खिलाफ कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण एक्ट (KCOCA), 2000 के तहत लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया था .

  
50 वर्षीय आरोपी मोहन नायक ने कथित तौर पर हत्या को अंजाम देने में एक दक्षिणपंथी 'क्राइम सिंडिकेट' को लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान किया था और वह सिंडिकेट का एक अभिन्न अंग था. नायक ने 22 अप्रैल के हाइकोर्ट के आदेश और मामले में एसआईटी द्वारा आरोप पत्र दाखिल करने में कथित देरी को आधार बनाकर कई मामलों में जमानत मांगी थी.


चार्जशीट दाखिल करने में देरी के आधार पर नायक को जमानत नहीं
जस्टिस श्रीनिवास हरीश कुमार की एकल पीठ ने फैसला सुनाया है कि नायक, जो कि हत्या के मामले में आरोपी नंबर 11 है, इस आधार पर जमानत नहीं मांग सकता कि 19 जुलाई, 2018 को उनकी गिरफ्तारी के 90 दिनों से अधिक समय बाद एसआईटी ने उसके खिलाफ 23 नवंबर, 2018 को चार्जशीट दायर की थी. चूंकि चार्जशीट दायर होने के बाद ही जमानत याचिका दायर की गई थी.


हाईकोर्ट ने 13 जुलाई के आदेश में कहा था कि अदालत की एक अन्य पीठ ने KCOCA आरोपों को हटाने का आदेश देने के बावजूद (जिसमें आरोप पत्र दाखिल करने की समय सीमा 180 दिन है) चार्जशीट दाखिल करने में देरी का आधार नायक जमानत का लाभ नहीं ले सकता है.


KCOCA हटाने के आदेश के खिलाफ को गौरी लंकेश की बहन पहुंची थीं सुप्रीम कोर्ट  
नायक के खिलाफ KCOCA के तहत आरोपों को हटाने का 22 अप्रैल का आदेश के खिलाफ गौरी लंकेश की बहन कविता लंकेश ने पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. 29 जून को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य और एसआईटी को नोटिस जारी किया और कहा कि KCOCA मामले में नायक द्वारा हाईकोर्ट में दायर की गई जमानत याचिका पर "आक्षेपित आदेश से प्रभावित हुए बिना निर्णय" लिया जाना चाहिए. गौरतलब है कि पत्रकार गौरी लंकेश की 5 सितंबर, 2017 की रात को दो मोटरसाइकिल सवार लोगों ने बेंगलुरु में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी.


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