नई दिल्ली: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को आएंगे लेकिन एक्जिट पोल में त्रिशंकु विधानसभा की तस्वीर बनते देख कर कांग्रेस नतीजों से पहले ही हरकत में आ गई है. एक तरफ पार्टी के सूत्र आंतरिक सर्वे में 120 सीटें जीतने यानी स्पष्ट बहुमत का दावा कर रहे हैं. वहीं पार्टी ने प्लान बी पर भी काम करना शुरू कर दिया है.


प्लान बी के तहत अगर कांग्रेस बहुमत से चूक जाती है और बीजेपी को भी बहुमत नहीं मिलता यानी त्रिशंकु विधानसभा रहती है तो जेडीएस को अपने साथ लेने के लिए कांग्रेस ने अपने दो वरिष्ठ नेताओं को मोर्चे पर लगाया है. इसके तहत राज्य सभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और संगठन महासचिव अशोक गहलोत को बंगलुरु भेजा है. माना जाता है कि आजाद की जेडीएस प्रमुख एचडी देवेगौड़ा से नजदीकी है इसी के मद्देनजर उन्हें ये जिम्मेदारी दी गई है.


हालांकि, सूत्रों ने दावा किया है कि कांग्रेस मुख्यमंत्री पद से समझौता नहीं करेगी. यानी कांग्रेस जेडीएस को सरकार में शामिल होने के लिए तो मनाएगी लेकिन उनकी सरकार नहीं बनवाएगी. पार्टी के एक बड़े नेता ने कहा कि या तो हमारा मुख्यमंत्री होगा या हम विपक्ष में बैठेंगे. माना जा रहा है कि कांग्रेस उपमुख्यमंत्री का पद जेडीएस को ऑफर कर सकती है. हालांकि, ऐसी परिस्थिति में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सरदर्द यही होगा कि वो मुख्यमंत्री किसे बनाए?


इन सब के बीच वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने रविवार को ये बयान दिया कि वो दलित मुख्यमंत्री के लिए पद छोड़ सकते हैं. माना जा रहा है कि सिद्धारमैया को इस बात का एहसास है कि जेडीएस उनके नेतृत्व में कांग्रेस के साथ आने को तैयार नहीं होगी ऐसे में पहले ही उन्होंने दलित कार्ड खेलने के साथ साथ जेडीएस को सिग्नल भी दे दिया है. माना जा रहा है कि ऐसी परिस्थितियों में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की किस्मत चमक सकती है.


जहां तक बीजेपी का सवाल है उसे पूरा भरोसा है कि वो सरकार बनाएगी. अगर ऐसा नहीं हुआ और कांग्रेस भी बहुमत से दूर रह गई तो फिर जेडीएस किंगमेकर की भूमिका में होगी. इसीलिए कांग्रेस ने अभी से उस पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं. क्योंकि कांग्रेस को गोवा, मणिपुर आदि राज्यों में 'देरी' का नुकसान अच्छे से याद है. हालांकि, जेडीएस क्या करेगी ये सबसे बड़ा सवाल है और उससे भी बड़ा सवाल ये है कि क्या वो किंगमेकर की स्थिति में आएगी?