Nagaland Tension: नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो (Nagaland CM Neiphiu Rio) ने सोमवार को राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) को हटाने की मांग करते हुए कहा कि इस कानून ने देश की छवि खराब की है. रियो ने कहा मैंने केंद्रीय गृह मंत्री से बात की है, वह मामले को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. हमने प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता दी है. हम केंद्र सरकार से नागालैंड से AFSPA हटाने की मांग कर रहे हैं.


इस कानून ने हमारे देश की छवि खराब की है. नागालैंड के मोन जिले के ओटिंग गांव में गोलीबारी की घटना में मारे गए नागरिकों के अंतिम संस्कार में शामिल होने के बाद सीएम ने कहा केंद्र ने प्रत्येक को 11 लाख रुपये की अनुग्रह राशि दी है, वहीं राज्य सरकार ने मृतकों के परिवारों को 5-5 लाख रुपये दिए हैं. 


नागालैंड के मुख्यमंत्री फिउ रियो ने रविवार को नागरिकों की कथित हत्याओं की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दिया था. भारतीय सेना ने घटना पर खेद जताया है और कहा है कि इसकी उच्चतम स्तर पर जांच की जा रही है. घटना के एक दिन बाद नागालैंड सरकार ने रविवार को मोन जिले के पूरे क्षेत्र में सभी मोबाइल इंटरनेट, डेटा सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी.


नागालैंड में गलत सूचना और गलत पहचान के कारण पैरा-एसएफ के ऑपरेशन में मारे गए मजूदरों के मामले में सेना ने उच्च स्तरीय जांच शुरू कर दी है. मेजर जनरल रैंक के एक अधिकारी इस बात की जांच कर रहे हैं कि आखिर भारतीय सेना की एलीट, पैरा-ए‌सएफ यानी स्पेशल फोर्सेज़ से इतनी भयंकर चूक कैसे हो सकती है कि छह मासूम लोगों की  जान चली जाए.


नागालैंड में क्या हुआ है?


नागालैंड के मोन जिले में एक के बाद एक गोलीबारी की तीन घटनाओं में सुरक्षाबलों की गोलियों से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गई, जबकि 11 अन्य घायल हो गए. पुलिस ने रविवार को बताया कि गोलीबारी की पहली घटना संभवत: गलत पहचान का मामला थी. इसके बाद हुए दंगों में एक सैनिक की भी मौत हो गई. गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब शनिवार शाम कुछ कोयला खदानकर्मी एक पिकअप वैन में सवार होकर गाना गाते हुए घर लौट रहे थे. सेना के जवानों को प्रतिबंधित संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-के (एनएससीएन-के) के युंग ओंग धड़े के उग्रवादियों की गतिविधि की सूचना मिली थी और इसी गलतफहमी में इलाके में अभियान चला रहे सैन्यकर्मियों ने वाहन पर कथित रूप से गोलीबारी की, जिसमें छह मजदूरों की जान चली गई.


पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि जब मजदूर अपने घर नहीं पहुंचे तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में निकले और इन लोगों ने सेना के वाहनों को घेर लिया. इस दौरान हुई धक्का-मुक्की और झड़प में एक सैनिक मारा गया और सेना के वाहनों में आग लगा दी गई. इसके बाद सैनिकों द्वारा आत्मरक्षार्थ की गई गोलीबारी में सात और लोगों की जान चली गई. इस घटना के खिलाफ उग्र विरोध और दंगों का दौर रविवार अपराह्न भी जारी रहा और गुस्साई भीड़ ने कोन्याक यूनियन और असम राइफल्स कैंप के कार्यालयों में तोड़फोड़ की और उसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी. सुरक्षाबलों द्वारा हमलावरों पर की गई जवाबी गोलीबारी में कम से कम एक और नागरिक की मौत हो गई जबकि दो अन्य घायल हो गए.


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