बैंगलोर: कर्नाटक की राजनीति में एक बड़ा दांव खेलते हुए आज मुख्यमंत्री बीएस यदियुरप्पा ने वीरशैव-लिंगायत समुदाय के विकास के लिए एक निगम का तत्काल गठन करने कि घोषणा की है. इसका नाम वीरशैव-लिंगायत डेवलपमेंट कॉरपोरेशन होगा.


मराठा बोर्ड का भी गठन करने का फैसला 


दरअसल इससे पहले तुमकुर के सिरा सीट पर हुए उपचुनाव के मद्देनजर येदियुरप्पा ने गोल्ला समुदाय के लिए डेवलपमेंट बोर्ड गठित किया था. जिसका नतीजा ये हुआ कि बीजेपी जहां अब तक कभी नहीं जीत पाई वहां भी जीत हासिल कर ली. यहीं फॉर्मूला बीजेपी आने वाले बेलगावी लोक सभा सीट पर उपचुनाव को देखते हुए मराठा बोर्ड का भी गठन करने का फैसला किया है.


गौरतलब है कि बेलगावी और उत्तरी कर्नाटक के कई हिस्सों में मराठा समुदाय की संख्या ज्यादा है. बेलगावी सीट पर ही करीब 37% मतदाता मराठा है. ऐसे में आने वाले उपचुनाव मे बीजेपी को इससे फायदा हो सकता है.


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अब मुख्यमंत्री ने अपने आदेश में कहा है कि राज्य में वीरशैव-लिंगायत समुदाय की आबादी बहुत ज्यादा है, उनमें से काफी लोग आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं. उन्होंने कहा, चूंकि समुदाय के सर्वांगीण विकास के लिए कर्नाटक वीरशैव-लिंगायत विकास निगम की स्थापना की आवश्यकता है, इसलिए तत्काल इस निगम के गठन का आदेश दिया जाता है.


मराठा बोर्ड गठन को लेकर कन्नडा ग्रुप का विरोध


हालांकि जाति आधारित इस बोर्ड को लेकर आम लोगों के बीच राय बंटी हुई है. उधर मराठा बोर्ड गठन करने को लेकर प्रो कन्नडा ग्रुप विरोध पर उतर आए हैं. उनका मानना है कि ये निर्णय राजनीतिक फायदे के लिए किया गया है. कांग्रेस ने भी इस निर्णय को राजनीतिक स्टंट करार दिया है. उनका कहना है कि इससे जनता का कोई भला नहीं होने वाला है.


ब्राह्मण और आर्य वैश्य बोर्ड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन मौजूद 


गौरतलब है कि कर्नाटक में पहले से ही ब्राह्मण और आर्य वैश्य बोर्ड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन मौजूद है. अब मराठा बोर्ड के बाद लिंगायत बोर्ड का गठन कर बीजेपी कहीं ना कहीं आने वाले विधानसभा चुनाव पर नजर गड़ाए बैठी है. इसमें कोई दो राय नहीं कि लिंगायत समुदाय राज्य में सबसे बड़ा समुदाय है और करीब वोट बैंक करीब 27% का है. सत्ता पर काबिज होने के लिए बीजेपी या किसी भी पार्टी को लिंगायत वोट की सबसे ज्यादा आवश्यकता है. यही कारण है कि येदियुरप्पा सरकार लिंगायत को लुभाने की कोशिश में जुटी हुई है. खुद मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा भी लिंगायत समुदाय से हैं.