लेह हिंसा की जांच कर रहे ज्यूडिशियल इंक्वायरी कमीशन ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) की फॉर्मल रिक्वेस्ट के बाद बयान दर्ज करने और सबूत जमा करने की डेडलाइन को 10 दिन बढ़ा दिया है. 

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इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बी एस चौहान की अगुवाई की तीन मेंबर वाले कमीशन को 17 अक्टूबर को होम मिनिस्ट्री ने यह पता लगाने के लिए नोटिफाई किया था कि 24 सितंबर को लेह में गंभीर लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति किन हालातों की वजह से बनी. 

साथ ही कहा कि उस दौरान पुलिस की कार्रवाई का रिव्यू किया जाए और उन घटनाओं का असेसमेंट किया जाए, जिनमें 1999 के कारगिल युद्ध के एक वेटरन समेत चार लोगों की जान चली गई. सिक्योरिटी फोर्स और प्रोटेस्ट करने वालों के बीच हुई झड़पों में चार आम लोगों की मौत हो गई थी और 90 घायल हो गए थे. इससे महीनों से चल रहा आंदोलन और बढ़ गया था. यह सभी केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा और उसे छठी अनुसूची में दर्जा देने की मांग कर रहे थे. 

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कमीशन को मिली है लिखित रिक्वेस्ट 

शुक्रवार को जारी एक ऑर्डर के मुताबिक, कमीशन को 27 नवंबर को LAB के को. चेयरमैन से एक लिखित रिक्वेस्ट मिली. इसमें यह कहते हुए और समय मांगा गया था कि “बहुत से लोग अभी भी कमीशन के सामने अपने बयान देना और सबूत जमा करना चाहते हैं.”

28 नवंबर को खत्म होने वाली थी डेडलाइन की तारीख

बता दें, स्टेटमेंट फाइल करने की ओरिजिनल डेडलाइन 28 नवंबर को खत्म होने वाली थी. यह अर्जी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज और ज्यूडिशियल इंक्वायरी कमीशन के हेड जस्टिस डॉ. बी. एस. चौहान के सामने रखी गई, जिन्होंने इस मामले पर वर्चुअली विचार किया. यह सारी जानकारी रिटायर्ड डिस्ट्रिक्ट और सेशंस जज समेत इंक्वायरी कमीशन के ज्यूडिशियल सेक्रेटरी मोहन सिंह परिहार ने अपने ऑर्डर में दी है.