JNU Protest: दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एक बार फिर विवाद ख़ड़ा हुआ है. इस बार हंगामा किसी मांग को लेकर नहीं बल्कि जुर्माने पर मचा है. जेएनयू में आखिर ऐसा क्या हुआ कि छात्रों ने नया आंदोलन करने की ठान ली? क्या है वो फरमान जिसे छात्र तुगलकी बता रहे हैं? क्या अब जेएनयू में नारेबाजी पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी? या फिर छात्रों की हुंकार के सामने जेएनयू प्रबंधन घुटने टेक देगा?


साल 2016 में संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू की फांसी को लेकर जेएनयू में लेफ्ट संगठनों से जुड़े छात्रों ने प्रदर्शन किया तो उसके विवाद की गूंज पूरे देश में सुनाई दी. इसके चार साल बाद जेएनयू फिर विवादों में आया. कैंपस में नकाबपोश लोगों ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों के साथ मारपीट की. इसके बाद भी जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ, लेकिन अब जेएनयू कैंपस में ऐसा हुआ तो छात्रों पर एक्शन की तैयारी कर ली गई है.


जेएनयू प्रशासन ने लगाया कैंपस में धरना प्रदर्शन पर बैन


दरअसल, जेएनयू प्रशासन ने कैंपस में धरना प्रदर्शन पर बैन लगा दिया है. इसका उल्लंघन करने वालों पर 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाने का आदेश जारी किया. इसके साथ ही देश विरोधी नारों पर 10 हजार रुपये और बिना इजाजत के पार्टी करने वालों पर 6 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा. इतना ही नहीं आरोपी छात्रों का एडमिशन भी रद्द किया जा सकता है. यूनिवर्सिटी के आदेश के बाद छात्रों में भारी नाराजगी है.


छात्रों ने बताया तुगलकी फरमान


जेएनयू प्रशासन के इस आदेश के बाद छात्रों ने नाराजगी जाहिर करते हुए प्रदर्शन किया और इसे एक तुगलकी फरमान बात रहे हैं. वहीं इसको लेकर सवाल भी उठ रहे हैं. जेएनयू में नियम तो सख्त हो गया, लेकिन सवाल ये है कि जो छात्र अपने हितों के लिए समय-समय पर यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन कर अपनी मांग उठाते थे, उनका क्या होगा?


क्या कहना है जेएनयू प्रशासन का?


एक तरफ जहां छात्र नाराज होकर प्रोटेस्ट कर रहे हैं लेकिन जेएनयू प्रशासन नियम को वापस लेने के मूड में नजर नहीं आ रहा. मामले पर जेएनयू कुलपति प्रोफेसर शांतिश्री पंडित ने कहा कि केंद्र सरकार के पास सिर्फ जेएनयू ही नही है और भी विश्वविद्यालय हैं. प्रदर्शन भी होना चाहिए लेकिन एकेडमिक के लिए होना चाहिए. ये मैनुअल 10 साल से है. ये इंडियन कांस्टीट्यूशन के अंतर्गत है.


यूनिवर्सिटी प्रशासन का साफ कहना है कि पुराने आदेश को ही ठीक करके फिर से लागू किया गया है. शांतिश्री पंडित ने बताया कि एक साल पहले एक जन्मदिन की पार्टी में बहुत हिंसा हुई, 10 छात्रों को रेस्टिगेट किया गया. कुछ छात्र मारपीट करते हैं, ड्रग्स करते हैं उनके लिए ये फाइन है.


इसी साल मार्च में भी ये नियम लागू हुआ था लेकिन छात्रों के हंगामे के बाद यूनिवर्सिटी प्रशासन को नियम वापस लेना पड़ा था.


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