नई दिल्ली: जेएनयू मामले में दिल्ली पुलिस को हिंसा फैलाने वाले लोगों की पहचान करने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है. सूत्रों ने ये जानकारी दी. जेएनयू कैंपस के सर्वर को पहले ही डैमेज कर दिया गया था, जिसकी वजह से पूरे कैंपस के सीसीटीवी की फुटेज पुलिस को नहीं मिल पा रहे हैं. क्राइम ब्रांच अब तमाम वायरल वीडियो की मदद से और अन्य तकनीक की मदद से पहचान करने की कोशिश कर रही है. क्राइम ब्रांच को लग रहा है कि इस पूरी हिंसा को एक सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है.


सूत्रों के मुताबिक पुलिस ने व्हाट्सएप स्क्रीनशॉट को लेकर भी जांच की है और कुछ फोन नंबरों की पहचान की है. इनमें से ज्यादातर फोन नंबर अभी स्विच ऑफ हैं. लेकिन हिंसा के समय उनके लोकेशन का पता सीडीआर के जरिए पता किया जाएगा.





वहीं जेएनयू पहुंची दिल्ली की ज्वाइंट सीपी शालिनी सिंह ने कहा कि हमारी जांच शुरू हो गई है. हमने यहां पर एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक, हॉस्पिटल और बाकी सब सभी जगह विजिट किया है. साबरमती हॉस्टल भी गए हैं और टी प्वाइंट भी गए हैं. बच्चों से बातचीत की है और अब आगे की कार्रवाई चलेगी. जिनके खिलाफ एफआईआर हुई है, उसकी जांच क्राइम ब्रांच कर रहा है. हमारी फैक्ट फाइंडिंग टीम है, हम उसकी जांच कर रहे हैं.


जेएनयू के वीसी का बयान


उधर आज जेएनयू के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि रविवार 5 जनवरी को जो घटना हुई वह दुर्भाग्यपूर्ण है. हमारा कैंपस बहस और बातचीत के जरिए किसी भी मुद्दे का हल निकलाने के लिए जाना जाता है. हिंसा हल नहीं है. हम लोग यूनिवर्सिटी में सामान्य हालत बहाल करने के लिए हर कोशिश करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया गया है. छात्र अब विंटर सेशन के लिए रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं. उन्होंने कहा, ''आइए हम एक नई शुरुआत करें और अतीत को पीछे छोड़ दें.'' वहीं जेएनयू के पूर्व छात्रों ने जेएनयू में हुई हिंसा की निंदा की है और कहा है कि हम छात्रों के साथ हैं.