दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद की जमानत याचिका दिल्ली की कड़कड़डुमा अदालत ने गुरुवार को खारिज कर दी. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि इन दंगों के पीछे गहरी साजिश थी और उमर खालिद पर इस साजिश में शामिल होने का आरोप है. इसलिए आरोपी को जमानत देने का कोई आधार नहीं बनता. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दंगो से 53 बेकसूर लोगों की जान गई थी. जबकि 700 से ज्यादा लोग घायल हुए थे.


अदालत ने अपने फैसले में खालिद पर आरोपों का बताया सही


अदालत ने कहा कि पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट और दस्तावेजों से प्रथम दृष्टया ये लगता है कि उमर खालिद पर लगे आरोप सही है. अदालत ने उमर खालिद के वकील द्वारा दंगों के समय उमर के दिल्ली में मौजूद नहीं होने की दलील पर अपने आदेश में कहा कि यह जरूरी नहीं की हर आरोपी मौके पर मौजूद हो. साजिश को दूर बैठकर भी रचा जा सकता है. अदालत ने कहा कि दूर बैठकर किसी भी गंभीर अपराध की साजिश रचना उतना ही गंभीर है जितना उसे अंजाम देना.


अदालत ने कहा पूर्व नियोजित थे दंगे


कड़कड़डूमा अदालत ने अपने आदेश में कहा यह दंगे अचानक की गई कार्यवाही नहीं थी बल्कि एक सोची समझी साजिश है. उमर खालिद के वकीलों द्वारा दी गई दलील को अदालत ने खारिज करते हुए कहा की उमर खालिद एमएसजे और डीपीएसजी ग्रुप का दिसंबर 2019 में सीएबी बिल के पास होने से लेकर फरवरी 2020 में दंगे होने तक हिस्सा था. औऱ कई आरोपियों के संपर्क में था. जो कि देश विरोधी कार्यो में लिप्त थे.


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