भारतीय जनता पार्टी 6 अप्रैल को अपनी 44वां स्थापना दिवस मना रही है. जनसंघ से निकले नेताओं ने साल 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में बीजेपी की स्थापना की थी. स्थापना के बाद बीजेपी ने सबसे पहला फोकस गुजरात, राजस्थान और संयुक्त मध्य प्रदेश पर किया था.


अटल-आडवाणी की जोड़ी ने बीजेपी को स्थापना के 16 साल बाद देश की सत्ता पर पहुंचा दिया. 1996 में पहली बार 13 दिनों के लिए अटल बिहारी वाजपेयी की केंद्र में सरकार बनी थी. हालांकि, बहुमत नहीं होने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.


वर्तमान में बीजेपी की 12 राज्यों में सरकार है. लोकसभा में पार्टी के पास 303 सीटें हैं, जबकि राज्यसभा में भी करीब 100 सांसद बीजेपी के हैं. कार्यकर्ताओं की संख्या के लिहाज से बीजेपी दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है. कई राज्यों में पार्टी के पास हाईटेक ऑफिस भी है. 


43 साल की इस पार्टी के कई किस्से सियासी जगत में मौजूद हैं. आइए इस स्टोरी में विस्तार से बीजेपी की फर्श से अर्श तक की कहानी को जानते हैं..


पहले ग्राफिक्स में देखिए बीजेपी का चुनावी सफर




जनसंघ से जनता पार्टी और फिर बीजेपी
आजादी के बाद राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के समर्थन से जनसंघ का गठन हुआ. जनसंघ का चुनाव चिह्न दीपक था. इंदिरा गांधी ने आपातकाल के वक्त समाजवादियों के साथ-साथ जनसंघ के लोगों को भी जेल में डाल दिया. 


1977 में इंदिरा सरकार ने देश में आम चुनाव कराने की घोषणा की. चुनाव की घोषणा से पहले इंदिरा ने खुफिया अधिकारियों को जनता का मूड जानने के लिए लोगों के बीच भेजा था. चुनावी घोषणा के बाद समाजवादियों के साथ-साथ जनसंघ के लोगों को भी जेल से रिहा किया गया.


इसके बाद जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में जनता पार्टी का गठन किया. इसी जनता पार्टी में जगजीवन राम की कांग्रेस और जनसंघ का विलय हुआ. 1977 के आम चुनाव में जनता पार्टी की बड़ी जीत हुई और पहली बार देश में गैर-कांग्रेसी सरकार का गठन हुआ. जनसंघ से आए अटल बिहारी को विदेश मंत्री बनाया गया. 


जेपी के बीमार पड़ते ही जनता पार्टी में आंतरिक गुटबाजी शुरू हो गई. मोरारजी देसाई ने चौधरी चरण सिंह और राजनारायण को 1978 में कैबिनेट से हटा दिया. दोनों ने इसके बाद जनता पार्टी को ही तोड़ दिया. चरण सिंह बाद में कांग्रेस के प्रधानमंत्री भी बने. 


1980 में चरण सिंह की सरकार गिरी. गिरी नहीं गिरा दी गई. कांग्रेस ने समर्थन वापस ले लिया और देश में आम चुनाव की घोषणा हुई. इसके बाद इंदिरा गांधी ने सत्ता में मजबूती से वापसी कर ली. इंदिरा के सत्ता में आते ही जनता पार्टी में वर्चस्व की लड़ाई तेज हो गई.


जनता पार्टी में एक तरफ थे पुराने कांग्रेसी. जैसे- जगजीवन राम और चंद्रशेखर. दूसरी तरफ जनसंघ के नेता थे. चंद्रशेखर उस वक्त जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे. जनसंघ से आए नेताओं ने हार की समीक्षा के लिए चंद्रशेखर से मीटिंग बुलाने का अनुरोध किया. 


इसी बीच जगजीवन राम ने दोहरी सदस्यता का मुद्दा उठा दिया. दरअसल, जनसंघ से आए नेता जनता पार्टी के साथ-साथ आरएसएस के भी मेंबर थे. मुद्दा तुल पकड़ा तो जनसंघ के कई नेता सस्पेंड किए गए. इसके बाद  कहानी शुरू हुई बीजेपी के स्थापना की.


दिल्ली में बीजेपी की स्थापना के बाद मुंबई में पार्टी ने पहला अधिवेशन रखा. इसी अधिवेशन में अटल बिहारी वाजपेयी ने अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा और कमल खिलेगा का ऐतिहासिक भाषण दिया था.


बीजेपी 1984 में लोकसभा का पहला चुनाव लड़ी, जिसमें पार्टी को सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली. इसके 2 साल बाद पार्टी में बड़े बदलाव किए गए. आडवाणी को बीजेपी की कमान सौंपी गई. 


आडवाणी का 3 राज्य फॉर्मूला, जो हिट रहा
अध्यक्ष बनने के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने संसाधन की कमी को देखते हुए 3 राज्यों पर अधिक फोकस किया. करीब 6 दशक तक बीजेपी को कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन शर्मा बताते हैं- पार्टी के अधिकांश नेता डीटीसी की बस से यात्रा करते थे. पैसा बचाने के लिए बड़े नेता साऊथ एवेन्यू के कैंटिन में सब्सिडी का खाना खाते थे. 


बीजेपी ने मध्य प्रदेश, गुजरात और राजस्थान पर सबसे अधिक ध्यान दिया. इसकी 3 वजह थी.


1. गुजरात में कांग्रेस (इंदिरा) के मुकाबले आपातकाल के वक्त में कांग्रेस (ऑर्गेनाइजेशन) था, लेकिन बाबूभाई पटेल के हार के बाद यह संगठन कमजोर हो गया. बीजेपी इस वैक्यूम को भरना चाह रही थी. आपातकाल के वक्त जनसंघ के अधिकांश नेताओं ने गुजरात में ही शरण ली थी. इसलिए यहां पार्टी की पकड़ भी थी. गुजरात में 1995 में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने में बीजेपी सफल रही.


2. मध्य प्रदेश पहला ऐसा राज्य था, जहां 1977 में जनसंघ से आए कैलाश जोशी मुख्यमंत्री बने थे. मध्य प्रांत में आरएसएस का संगठन काफी ज्यादा मजबूत था. संघ के अधिकांश पदाधिकारी मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स से वाकिफ थे. यहां हिंदुओं की आबादी 86 फीसदी के आसपास होने की वजह से संघ को अपना विस्तार करने में कठिनाई महसूस नहीं हो रही थी. 1990 में बीजेपी मध्य प्रदेश में सरकार बनाने में सफल रही.


3. राजस्थान में लालकृष्ण आडवाणी खुद काम कर चुके थे. संघ के शुरुआत में आडवाणी को राजस्थान की ही जिम्मेदारी मिली थी. इसलिए आडवाणी ने यहां भी फोकस किया और पार्टी के विस्तार में जुट गए. 1980 के दशक में राजस्थान कांग्रेस में काफी उठापटक मची हुई थी. 10 साल में 5 सीएम बदल दिए गए थे. 1990 में राजस्थान में भी बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही थी.




1990 का दशक और राम मंदिर की संजीवनी
1989 में वीपी सिंह के जनता दल के साथ मिलकर बीजेपी चुनाव लड़ी, लेकिन मंडल की राजनीति के बाद पार्टी सकते में आ गई. वीपी सिंह ने पिछड़ों को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया. वीपी सिंह के ऐलान से बीजेपी बैकफुट पर चली गई, क्योंकि उस वक्त तक बीजेपी का कोर वोटर ब्राह्मण और बनिया माना जा रहा था. 


बीजेपी ने इसकी काट खोजने के लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया. लालकृष्ण आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की घोषणा कर दी. रथयात्रा के नाम पर देश में काफी बवाल मच गया. बिहार में आडवाणी को लालू यादव की सरकार ने गिरफ्तार कर लिया.


आडवाणी की गिरफ्तारी के बाद बीजेपी ने समर्थन वापस ले लिया और वीपी सिंह की सरकार गिर गई. इसके बाद कांग्रेस ने चंद्रशेखर को समर्थन दे दिया, लेकिन उनकी सरकार भी ज्यादा दिनों तक नहीं चल पाई. 1991 में आम चुनाव की घोषणा हो गई. आम चुनाव के बीच में ही कांग्रेस नेता राजीव गांधी की हत्या हो गई.


राजीव की हत्या का इमोशनल फायदा कांग्रेस को मिला और पार्टी की सरकार बन गई. इधर, बीजेपी यूपी में सरकार बनाने में कामयाब रही. 1992 में बाबरी विध्वंस हुआ और कल्याण सिंह की सरकार समेत कई राज्यों में बीजेपी की सरकार भंग कर दी गई. बाबरी विध्वंस के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.


1996 के चुनाव में बीजेपी देश की सबसे बड़ी पार्टी बनी और सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया, लेकिन बहुमत नहीं होने की वजह से सरकार चल नहीं पाई. 1998 के चुनाव में बीजेपी ने 182 सीट जीतकर सरकार बना ली. 13 महीने बाद फिर सरकार गिर गई. 


1999 के चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी ने 24 दलों के साथ गठबंधन किया. केंद्र में एनडीए की सरकार बनी और फिर 5 साल तक चली. केंद्र में सरकार बनने के बाद बीजेपी ने कई राज्यों में भी सरकार बनाई. इनमें राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश शामिल था. महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बनाने में सफल रही.


2000 से 2014 तक... कलह की वजह से कमजोर हुई
अटल सरकार के दौरान ही बीजेपी के भीतर आंतरिक कलह शुरू हो गई. पहले संगठन महासचिव गोविंदाचार्य और अटल बिहारी के बीच झगड़ा और फिर बाद में आडवाणी और मदनलाल खुराना के बीच अदावत शुरू हो गई. 2004 में इंडिया शाइनिंग के बावजूद बीजेपी हार गई और केंद्र में यूपीए की सरकार बनी.


2009 में भी बीजेपी आंतरिक गुटबाजी की वजह से सरकार बनाने में सफल नहीं रही. हालांकि, इस दौरान पार्टी की एमपी, छत्तीसगढ़, गुजरात समेत कई राज्यों में सरकार थी. 2013 के गोवा अधिवेशन ने बीजेपी ने बड़ा फैसला करते हुए नरेंद्र मोदी को चेहरा घोषित किया.


और बदल गई बीजेपी की पूरी कहानी
2014 के चुनाव में बीजेपी पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सरकार बनाई. पार्टी को 282 सीटों पर जीत मिली. इसके बाद बीजेपी का कई राज्यों में विस्तार हुआ. इनमें हरियाणा, महाराष्ट्र, त्रिपुरा और असम राज्य शामिल है. 


मई 2018 में बीजेपी सफलता के सबसे शिखर पर थी. उस वक्त बीजेपी के 15 राज्यों में सीएम थे, जबकि 6 राज्यों में एनडीए के सीएम थे. मई 2018 में  देश की करीब 70 फीसदी आबादी पर एनडीए का शासन था. 


दक्षिण से लेकर उत्तर पूर्व तक के अधिकांश राज्यों में बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकार थी. 2019 में बीजेपी ने लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र की सत्ता में लौटी. 2019 में बीजेपी को 38 फीसदी वोट मिला. 2024 के लिए बीजेपी ने 350 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. देश के बड़े संवैधानिक पोस्ट पर बीजेपी के नेता हैं. 


बीजेपी उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, असम, गुजरात और त्रिपुरा जैसे 12 राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार में है. राज्यसभा और लोकसभा दोनों जगहों पर पार्टी काफी मजबूत है.