Jammu And Kashmir Drug Racket: जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के अलावा एक और खतरा तेजी से बढ़ रहा है और युवाओं को अपनी चपेट में ले रहा है. घाटी में युवाओं को ड्रग्स और नशीले पदार्थों की लत लग रही है. जिसे लेकर जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने भी चिंता जताई है और कहा है कि अगर इस चुनौती से नहीं निपटा गया तो ये आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हमने ध्यान नहीं दिया तो एक बहुत बड़ा दर्द हमारा इंतजार कर रहा है.  


इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि हमें ये मानना होगा कि ये बहुत गंभीर और बड़ी समस्या है. मौजूदा दौर में नशीली दवाओं के जिस खतरे का जम्मू-कश्मीर के लोग सामना कर रहे हैं वो आतंकवाद से भी बड़ा खतरा है. 


पाकिस्तान की साजिश
डीजीपी ने बताया कि अब पाकिस्तान में मौजूद एजेंसियां आतंकवाद के साथ-साथ नशीली दवाओं का कारोबार भी कर रही हैं, जिससे उन्हें आतंक के लिए फंडिंग जुटाने में तो आसानी होती ही है, साथ ही सामाजिक अपराध को बढ़ाने में भी मदद मिलती है. अब पाकिस्तान के रास्ते ड्रग्स तस्करी तेज हो गई है. ठीक ऐसा ही पंजाब में किया गया, जब वहां उग्रवाद की समस्या खत्म हो गई तो नशीली दवाओं से प्रभावित किया गया. डीजीपी ने बताया कि वो इस दिशा में कई तरह के कदम भी उठा रहे हैं. 


ड्रग्स ले रहे करीब 7 लाख युवा
जब इंटरव्यू के दौरान डीजीपी दिलबाग सिंह से पूछा गया कि वो किस आधार पर ऐसा कह रहे हैं, तो उन्होंने जवाब में कहा- पिछले चार साल में ऐसे मामलों और उनमें गिरफ्तारियों की संख्या में खूब इजाफा हुआ है. यहां की 1.3 करोड़ की आबादी में नशीली दवाओं का सेवन करने वालों की संख्या 5 से 7 लाख के करीब है. चिंता की बात ये है कि सभी 13 से 30 साल के बीच की उम्र वाले युवा हैं. 


रैकेट से जुड़ रहे स्थानीय लोग
जम्मू-कश्मीर डीजीपी ने बताया कि सीमा के पास रहने वाले कुछ लोग इस रैकेट के साथ जुड़ रहे हैं, क्योंकि इसमें उन्हें आर्थिक फायदा नजर आ रहा है. इसीलिए बड़े पैमाने पर कश्मीर में ड्रग्स की तस्करी हो रही है. महिलाओं को कवर बनाकर आसानी से नशीली दवाओं की खेप एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाई जा रही है. इस ड्रग्स की सप्लाई पंजाब तक होती है और जो पैसा आता है उसका ज्यादातर हिस्सा पाकिस्तान भेजा जाता है. दिलबाग सिंह ने बताया कि क्रिप्टोकरेंसी में भी भुगतान देखा गया है. 


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