Indian Railway: इन दिनों रेलवे (Railway) के एक दो साल पुराने आदेश को लेकर कहा जा रहा है कि रेलवे ने एक साल के बच्चे (Kid) को भी टिकट (Ticket) के दायरे में ला दिया है. दरअसल बात तो सच है लेकिन इसे सही रोशनी में देखना ज़रूरी है. पहले एक साल के बच्चे के लिए पूरी बर्थ की सुविधा नहीं थी इसलिए टिकट का भी सवाल नहीं उठता था. अब 2020 से रेलवे ने आपके एक साल के बच्चे के लिए भी पूरे दाम पर पूरी बर्थ की सुविधा लागू कर दी है. लेकिन अगर आप अपने एक साल से लेकर पांच साल से कम उम्र के बच्चे को अपनी ही सीट पर ले जाना चाहें तो फिर बच्चे की ये यात्रा आज भी मुफ़्त है. 


6 मार्च 2020 को आए एक आदेश के अनुसार बच्चों के टिकट को लेकर रेलवे के ये नियम इस वक़्त लागू हैं- 


1. रेलवे में पांच साल से कम उम्र के बच्चों का टिकट नहीं लगेगा. यानी ये बच्चे (अपने टिकटशुदा गार्जियन के साथ) फ़्री यात्रा कर सकेंगे. ये नियम रेज़र्व्ड (Reserved) और अनरेज़र्व्ड (Unreserved) दोनों क्लास पर लागू है. 


2. लेकिन अगर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बर्थ चाहिए तो ये बर्थ फ़ुल टिकट में ही मिलेगी जैसे कि किसी वयस्क को मिलती है. ज़ाहिर है, यही नियम पांच से बारह साल के बच्चों पर भी लगेगा. कुल मिलाकर बर्थ तो एक साल के बच्चे को भी अडल्ट रेट में ही मिलेगा. यानी रेलवे में बच्चों के लिए हाफ़ टिकट लेकर बर्थ पाने का ज़माना अब लद गया. 6 मार्च 2020 के इसी नियम के लिए ये कहा जा रहा है कि रेलवे ने चुपचाप ‘खेल’ कर दिया है. 


3. पांच साल से कम उम्र के दिव्यांग बच्चे को बर्थ चाहिए हो तो उन्हें वहीं कंसेशन मिलेगा जो वयस्क दिव्यांगों को मिलता है.  


4. रेज़र्व्ड कोच (Reserved Coach) में (जिसमें सोने के लिए बर्थ हो) बर्थ न लेने पर पांच साल की उम्र से लेकर बारह साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए हाफ़ टिकट लगेगा. यानी ये नहीं कहा जा सकता कि रेलवे में हाफ़ टिकट का ज़माना लद गया क्योंकि बर्थ के लिए अब हाफ़ टिकट भले ही न मिलता हो लेकिन बिना बर्थ के गार्जियन की सीट पर यात्रा करने पर बच्चे अब भी हाफ़ टिकट ले कर यात्रा कर सकते हैं. 


5. चेयर कार में (यानी सिटिंग अरेंजमेंट में) फ़ुल टिकट लगेगा यानी पांच से बारह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी सीट लेना अनिवार्य है. 


5. अनरेज़र्व्ड कोच में पांच से बारह साल के बच्चों का हाफ़ टिकट लगेगा. 


6. अनरेज़र्व्ड कोच में बारह साल और ऊपर के बच्चों का फ़ुल टिकट लगेगा.


7. बिना वयस्क अटेंडेंट के बच्चे को पूरे किराए पर फ़ुल बर्थ के साथ ही टिकट दिया जाएगा यानी हाफ़ टिकट वाले बच्चे बिना गार्जियन के अकेले यात्रा नहीं कर सकते क्योंकि फिर वो बैठेंगे किसकी सीट पर! हाफ़ टिकट वाले केस में बच्चों के टिकट का पीएनआर नम्बर गार्जियन के पीएनआर के साथ लिंक्ड होना अनिवार्य है. 


9. 23 अक्टूबर 2018 के आदेश के अनुसार- एक वयस्क यात्री के साथ सिर्फ़ एक ही ‘नो सीट नो बर्थ’ वाले बच्चे का टिकट बनेगा. यानी जितने कुल वयस्क होंगे उन सबके साथ उनकी कुल संख्या के बराबर (या कम) बच्चे ही यात्रा कर सकते हैं. 


10. IRCTC की साईट पर टिकट बुक करते समय एक ऑप्शन आता है जिसमें आप अपने नवजात बच्चे से लेकर पांच साल से कम उम्र के उस बच्चे का भी नाम दे सकते हैं जिसका टिकट आप ‘नो सीट नो बर्थ’ के तहत नहीं ले रहे हैं. 


यानी बच्चे का टिकट न लेने के बावजूद रेलवे यात्रा कर रहे बच्चे का नाम रजिस्टर कर सकेगा और उस बच्चे को आवश्यकता पड़ने पर इंश्योरेंस का लाभ भी मिल सकेगा. IRCTC अन सभी यात्रियों को दस से पच्चीस लाख रूपए तक का इन्श्योरेंस देती है जो टिकट बुक करते समय इंश्योरेंस के लिए ख़ास तौर से ‘ना’ नहीं करते. बीमे के लिए  रेलवे प्रत्येक यात्री से महज़ क़रीब बीस पैसे का चार्ज करता है. इसके लिए भी ‘ना’ करने का ऑप्शन मौजूद रहता है. 


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