Pralay Missile: 2017 का डोकलाम विवाद हो या फिर 2020 में लद्दाख के गलवान में हुई हिंसा, दोनों घटनाओं से एक बात तो समझ आ गई है कि चीन केवल ताकत की भाषा समझता है. चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की नीतियों को रोकना है तो भारत को मजबूत सैन्य नीति अपनानी होगी. नरेंद्र मोदी सरकार इसी नीति पर चल रही है. यही वजह है कि सिलीगुड़ी कोरिडोर और भूटान के बड़े पैमाने पर भारत के ऊपर निर्भरता को देखते हुए उत्तर पूर्व के इलाके को पारंपरिक रूप से कम दूरी की सशस्त्र बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षित करने का फैसला किया है.


भारत चीन को जवाब देने के लिए दो बड़े हथियारों की तरफ बढ़ रहा है. इनमें एक प्रलय मिसाइल है जिसकी अधिकतम सीमा 500 किलोमीटर है, जबकि दूसरी 1500 किमी की मारक क्षमता वाली सशस्त्र सबसोनिक क्रूज मिसाइल निर्भय है. भारत के पास अन्य पारंपरिक रूप से सशस्त्र डिलीवरी प्लेटफॉर्म भी हैं.


प्रलय और निर्भय मिसाइलों का परीक्षण डीआरडीओ ने पूरा कर लिया है और यह अपेक्षा के अनुरूप रहा है. दोनों मिसाइलों को डीआरडीओ ने ही बनाया है. रक्षा मंत्रालय ने पहले ही प्रलय मिसाइल के लिए आदेश दे रखा है, ऐसे में इसका जल्द ही यूजर टेस्ट होने की उम्मीद है. 


ये है प्रलय की खासियत


कम रेंज की इस मिसाइल का फायदा है कि यह दुश्मन के अड्डों को पलक झपकते ही नष्ट कर देगी. सीमा के पास से अगर इसे दागा जाए तो दुश्मन देश के ठिकानों को जल्दी से नष्ट किया जा सकेगा. यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम का पारंपरिक हथियार ले जा सकती है. इसे बनाने में तीन मिसाइलों की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें प्रहार, पृथ्वी-2 और पृथ्वी-3 शामिल हैं. यह मिसाइल अंधेर में भी अपने लक्ष्य को भेद सकती है.


भारत से लगी सीमा पर चीनी पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की रॉकेट रेजीमेंट को देखते हुए भारत को भी सिलीगुड़ी कॉरिडोर और अरुणाचल प्रदेश में चीन के सामने जवाबी हथियार तैनात करना जरूर है. चीन ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर के यातोंग क्षेत्र में सतह से हवा में मार करने वाली 70 किमी की रेंज की एचक्यू-16 मिसाइलों को पहले ही तैनात कर रखा है.


पाकिस्तान को भी बढ़ा रहा चीन


चीन उत्तर और उत्तर पूर्व से सटी सीमा पर तो उकसावे वाली हरकतें कर ही रहा है. इसके साथ ही वह पश्चिमी मोर्चे पर भारत को उलझाए रखने के लिए पाकिस्तान को भी मदद कर रहा है. पाकिस्तान को 039 श्रेणी की डीजल पनडुब्बियों के साथ ही चीन सशस्त्र ड्रोन की भी आपूर्ति कर रहा है. इसके जवाब में भारतीय नौसेना ने तीन स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी को शामिल करने का फैसला किया है. भारतीय नौसेना की खास जरूरतों के आधार पर तीन एआईपी पनडुब्बियों के निर्माण का ठेका जल्द ही एमडीएल को दिया जा सकता है.


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