Indian Army: सैनिकों (Soldiers) की नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म (Combat Uniform) के दुरूपयोग (Misuse) को रोकने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) पेटेंट प्राप्त करने की तैयारी कर रही है. इस बावत भारतीय सेना ने नई डिजीटल कैमोफ्लाज यूनिफॉर्म के पैटर्न और डिजाइन पर अधिकार के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन एंड ट्रैड मार्क्स के ऑफिस में एप्लाई भी कर दिया है. आपको बता दें कि पठानकोट एयर बेस (Pathankot Airbase) पर हुए हमले से लेकर कश्मीर तक में आतंकी सैनिकों की यूनिफॉर्म पहनकर ही हमला करते हैं. इसीलिए सेना नई कॉम्बेट ड्रेस के आईपीआर अधिकार (IPR Right) लेना चाहती है.


सेना की वर्दी का न हो गलत इस्तेमाल


जानकारी के मुताबिक, सेना मुख्यालय पूरी 11 लाख वाली थलसेना के लिए वर्ष 2025 के मध्य तक नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म मुहैया कराने का प्लान तैयार कर रही है, क्योंकि नई वर्दी बेहद ही हल्की होने के साथ साथ बेहद मजबूत है और डिजिटल पैटर्न से तैयार की गई है. इसलिए भारतीय सेना इसके दुरूपयोग को रोकना चाहती है. इस नई यूनिफॉर्म को लेकर भारतीय सेना के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली ही सुरक्षा से जुड़ी. सेना नहीं चाहती है कि सैनिकों के अलावा कोई अनिधकृत व्यक्ति इसे नहीं पहन पाए. दूसरा ये कि सेना में कार्यरत सैनिक कोई दूसरे पैटर्न वाली कॉम्बेट यूनिफॉर्म न पहन सके. यही वजह है कि सेना नहीं चाहती है कि ये नई वर्दी गली-मुहल्लों में बेची जाए, क्योंकि कई बार आतंकी तक ओपन मार्केट से सेना की (पुरानी) वर्दी को खरीदकर पहन लेते हैं. 


कानून के बारे में सेना करा रही अवगत


सेना के मुताबिक, अप्रैल के महीने में नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म के इंटेलैक्चुयल प्रोपट्री राईट्स (आईपीआर) यानि बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स के दफ्तर में आवेदन दे दिया गया था. अगले महीने तक सेना को पेटेंट मिलने की तैयारी है, लेकिन इससे पहले भारतीय सेना ने कैंटोन्मेंट और छावनी सहित ओपन मार्केट में सैन्य साजो सामान बेचने वाले दुकानदारों को नई यूनिफॉर्म और उससे जुड़े आईपीआर कानून से अवगत कराना शुरु कर दिया है.


दुकानदार के खिलाफ होगी कार्रवाई


बुधवार को भारतीय सेना (Indian Army) की मिलिट्री पुलिस (Military Police) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के जवानों के साथ मिलकर दिल्ली कैंट (Delhi Cant) में एक ड्राइव चलाकर वहां के दुकानदारों को नई यूनिफॉर्म (New Uniform) के बारे में जानकारी दी और किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को नई यूनिफॉर्म बेचने के खतरों के बारे में आगाह किया. अगर कोई दुकानदार (Shopkeeper) ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.


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