India China Clash: अरुणाचल प्रदेश में चीन से चल रही तनातनी के बीच असम के तेजपुर एयरबेस पर भारतीय वायुसेना के युद्धाभ्यास के दूसरे दिन सुखोई फाइटर जेट और ड्रोन्स ने जमकर फ्लाइंग की. दो दिवसीय युद्धाभ्यास शुक्रवार की शाम खत्म हो गया. तेजपुर एयरबेस पर सुबह से ही लड़ाकू विमान और यूएवी की उड़ान शुरू हो गईं. सुखोई फाइटर जेट की एक के बाद एक फ्लाइंग से पूरे तेजपुर की एयर स्पेस गड़गड़ाहट से गूंज उठी. इस दौरान वायुसेना के यूएवी भी तेजपुर के आसमान में लगातार उड़ान भरते रहे.


अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी पर अगर चीन की तरफ से एयर स्पेस का उल्लंघन होता है तो इसी तेजपुर एयर बेस से सुखोई लड़ाकू विमानों को स्क्रैम्बल किया जाता है. गुरुवार की शाम को तेजपुर एयरबेस पर हेलीकॉप्टर फ्लाइंग की ड्रिल की गई. एक के बाद एक चिनूक और दूसरे हेलीकॉप्टर्स ने तेजपुर के आसमान में नाइट फ्लाइंग ऑपरेशन का अभ्यास किया. असम और अरुणाचल प्रदेश में भारतीय वायुसेना का तेजपुर एक मात्र ऐसा बेस है, जहां लड़ाकू विमान तैनात हैं. इसके अलावा यहां हेलीकॉप्टर और ड्रोन भी तैनात हैं. 


शुक्रवार शाम तक चला युद्धाभ्यास
साल 2017 में डोकलाम विवाद के बाद जब चीन का J-20 फाइटर जेट अरुणाचल प्रदेश से सटी एलएसी के बेहद करीब आया था तो सुखोई ने उसे 'डिटेक्ट' कर लिया था. इस खबर के बाद दुनियाभर में चीन की किरकिरी हुई थी, क्योंकि चीन का दावा था कि J-20 स्टेल्थ फाइटर जेट को दुनिया की कोई रडार या फिर विमान नहीं डिटेक्ट कर सकते हैं. इस घटना के बाद चीन ने अपने J-20 के एवियोनिक्स से लेकर स्टेल्थ फीचर में भी बदलाव किया था और एक लंबे समय तक J-20 की कोई खबर सामने नहीं आई. तवांग में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बीच भारतीय वायुसेना की पूर्वी कमान गुरुवार से दो दिवसीय (15-16 दिसम्बर) युद्धाभ्यास कर रही थी. ये एक्सरसाइज असम और अरुणाचल प्रदेश सहित उत्तर-पूर्व के सभी राज्यों की एयर-स्पेस में की गई. इसको लेकर वायुसेना ने नोटम भी जारी कर रखा था. नोटिस टू एयरमैन (नोटम) के मुताबिक, ये युद्धाभ्यास गुरुवार दोपहर 1.30 बजे से शुक्रवार शाम 5.30 तक चला.


तवांग की घटना से पहले ही तय हो चुका था युद्धाभ्यास
वायु सेना ने गुरुवार को एक संक्षिप्त बयान जारी कर कहा कि ये युद्धाभ्यास तवांग की घटना से पहले ही तय हो चुका था. इसका हालिया घटनाओं से कोई लेना देना नहीं है. वायुसेना के मुताबिक, इसका उद्देश्य वायुसैनिकों की ट्रेनिंग है. भारतीय वायुसेना के पास इस वक्त अगर कोई सबसे ज्यादा फाइटर जेट हैं तो ये सुखोई ही हैं. वायुसेना के पास 250 से भी ज्यादा सुखोई विमान हैं. हाल ही में इन्हें और घातक बनाने के लिए ब्रह्मोस मिसाइल से भी लैस किया गया है. रूस के साथ एक विशेष करार के तहत इन सुखोई लड़ाकू विमानों का निर्माण भारत में ही होता है, जिन्हें SU-30 MKI कहा जाता है.


सिर्फ सीमा ही नहीं, व्यापार के मोर्चे पर भी चीन है भारत के सामने बड़ी चुनौती