भारत ने यूरोपीय संघ से ईयू कोविड डिजिटल सर्टिफिकेट व्यवस्था में कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीकों को मान्यता देने का आग्रह किया है. साथ ही भारत ने प्रस्ताव दिया है कि भारतीय नागरिकों को दिए जा रहे दोनों टीकों मान्यता दी जाने पर भारत भी यूरोपीय वैक्सीन को बराबरी से मान्यता देगा.


इटली में G-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के हाशिए पर यूरोपीय संघ नेताओं के साथ हुई मुलाकात में विदेश मंत्री डॉक्टर एस जयशंकर ने इस मुद्दे को उठाया. भारत लगातार इस बात का आग्रह कर रहा है की वैक्सीन पर आधारित आवाजाही की कोई भी व्यवस्था निष्पक्षता और बराबरी के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए.


ध्यान रहे कि यूरोपीय संघ क्षेत्र में 1 जुलाई से वैक्सीन आधारित डिजिटल सर्टिफिकेट व्यवस्था लागू हो रही है. इसके तहत वह सभी व्यक्ति जिन्होंने वैक्सीन हासिल किया है यूरोपीय संघ देशों में यात्राएं कर सकेंगे. यह व्यवस्था फिलहाल यूरोपीय संघ सदस्य देशों के नागरिकों के लिए है. लेकिन इस बात की पूरी संभावना है कि आगे यूरोपीय संघ क्षेत्र में इसी के आधार पर यातायात और आवाजाही के नियम बनाए जाएं.


भारत ने इस बात को लेकर भी अपनी शिकायत और सवाल दर्ज कराए हैं कि एस्ट्राजेन्का  के जिस टीके को यूरोपीय संघ क्षेत्र में मान्य किया गया है उसी फार्मूले पर भारत में दिए जा रहे कोविशील्ड को मंजूरी नहीं दी गई. यूरोपीय संघ का कहना है कि यूरोपीय मेडिकल एजेंसी के पास कोविशील्ड की तरफ से मंजूरी के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ.


बहरहाल, भारत ने यूरोपीय संघ के साथ-साथ उसके सदस्य देशों से भी अलग से यह प्रस्ताव दिया है कि कोविशील्ड और कोवैक्सीन को अपने यहाँ मान्यता दें. इसके बदले में भारत भी संबंधित देश में दिए जा रहे टीकाकरण के डिजिटल सर्टिफिकेट को मान्यता देगा. साथ ही एक पारस्परिक मान्यता के आधार पर आवाजाही में सहूलियत और वारंटी नियमों में रियायत भी दी जाएगी.


सरकारी सूत्रों के मुताबिक भारत की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि भारत में वैक्सीन हासिल करने वाले लोगों की जानकारियों को कोविन पोर्टल पर प्रमाणित किया जा सकता है. गौरतलब है कि भारत लगातार यह बात उठाता रहा है कि कोविड वैक्सीन को आधार बनाते हुए लागू की जाने वाली किसी भी व्यवस्था का निष्पक्ष और समानता आधारित होना ज़रूरी है.


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