लद्दाख: पूर्वी लद्दाख में लंबे समय तक जमे रहने की तैयारी में भारतीय सेना सर्दियों के चरम पर पहुंचने से पहले चीन पर बढ़ते लेते हुए 35 हजार सैनिकों के तैनाती कर दी है. इन सैनिकों को ऊंचाई और सर्दियों में रहने का पहले से ही तजुर्बा है. वहां पर तैनात भारतीय सैनिकों को मौसम और इलाके से निपटने की पूरी इलाके से निपटने के लिए मानसिक तौर पर तैयार किया जाता है. जबकि, इसके विपरीत जो चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात हैं वे ऐसे वातावण को नहीं झेल सकते हैं क्योंकि इन्हें चीन के हिस्सों से लाया गया जो अत्यधित ऊंचाई और ठंडे मौसम के आदि नहीं हैं.


भारतीय सैनिक मानसिक तौर पर तैयार
सरकारी सूत्रों ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, पूर्वी लद्दाख सेक्टर में तैनात 35 हजार सैनिकों को अत्यधिक ठंडा मौसम में पोर्टेबल केबिन देने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "हमारे जो सैनिक तैनात हैं वे पहले ही सियाचीन, पूर्वी लद्दाख या उत्तर-पूर्व में ऐसे मौसम में एक या दो बार तैनात रहे हैं और वे लंबे समयत तक तैनाती के लिए मानसिक तौर पर तैयार है."


सूत्रों ने कहा कि भारतीय मोर्चे पर तैनात चीनी सैनिकों में मुख्य रूप से ऐसे लोग शामिल हैं जो 2-3 साल की अवधि के लिए पीएलए में शामिल होते हैं और फिर अपने सामान्य जीवन में लौट आते हैं.


भारत और चीन सैनिकों के बीच स्थिति तनावपूर्ण
लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेख पर भारत और चीन सैनिकों के बीच स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है जो दोनों तरफ से एक दूसरे के खिलाफ वहां पर करीब 40 हजार सैनिकों को की तैनाती की गई है. दोनों पक्षों की तरफ से तीन झगड़े वाले प्वाइंट्स- पेट्रोलिंग प्वाइंट 14, पीपी-15, पीपी-17 और पीपी-17ए पर सैनिकों को हटाया गया है.


चीन जितने सैनिक लेकर आया है उसे कहीं ज्यादा भारतीय सैनिक वहां पर तैनात हैं
पीपी-17 और 17ए पर चीन के करीब 50 सैनिकों की अभी भी तैनाती है जबकि उसके बाकी सैनिक स्थाई ठिकानों पर वापसी कर चुके हैं. सूत्रों ने बताया कि सेना की तरफ से एलएसी पर चीनी निर्माण की बहुत ज्यादा परवाह नहीं की जा रही है क्योंकि लद्दाख सेक्टर के बाहर उसके दो अतिरिक्त डिविजन हैं. उन्होंने बताया कि चीन जितने सैनिक लेकर आया है उसे कहीं ज्यादा भारतीय सैनिक वहां पर हैं.


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