नई दिल्लीः अंतिरक्ष में लगातार चीन के बढ़ते दबदबे‌ के बीच भारत पहला स्पेस-वॉर युद्धभ्यास करने जा रहा है. ये एक्सरसाइज जुलाई के आखिरी हफ्ते में होगी जिसमें भारत अंतरिक्ष में अपनी ताकत परखने की कोशिश करेगा. आपको बता दें कि मार्च के महीने में ही भारत ने पहली एंटी-सैटेलाइट,‌ एसैट मिसाइल का सफल परीक्षण किया था.


रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि 'इंटस्पेसएक्स' नाम की इस‌‌ एक्सरसाइज में सैन्य-अधिकारियों के साथ साथ स्पेस-साईंटिस्ट और इस क्षेत्र में रिसर्च कर रहे स्कॉलर्स भी हिस्सा लेंगे. ये एक 'टेबल-टॉप' एक्सरसाइज होगी जिसे रक्षा मंत्रालय के‌ अंतर्गत आने वाली नेशनल डिफेंस यूनिवर्सिटी आयोजित करेगी.‌


आपको बता दें कि चीन ने हाल ही में यैलो-सी से एक साथ सैटेलाइट और एक रॉकेट को लांच किया था. हालांकि इस‌ लांच की और ज्यादा जानकारियां सामने नहीं आई लेकिन माना जा रहा है कि सैटेलाइट के साथ रॉकेट को लांच करना दिखाता है कि चीन स्पेस में अपना दबदबा कायम करना चाहता है. हालांकि चीन ने एंटी-सैटेलाइट मिसाइल वर्ष 2007 में ही लांच कर दी थी, लेकिन हाल ही में जो लांच किया गया वो समंदर में एक प्लेटफार्म किया गया.


भारत की इंटस्पेसएक्स एक्सरसाइज से जुड़े एक सैन्य अफसर के मुताबिक, एसैट मिसाइल के सफल परीक्षण से भारत भी स्पेस-पॉवर की श्रेणी में आ गया है और अंतिरक्ष में अपने संसाधनों की सुरक्षा बेहद जरूरी है. इस‌ वॉर-गेम्स के जरिए भारत अपनी ताकत को परखने का काम करेगा.


आपको बता दें कि हाल ही में भारत ने डिफेंस‌ स्पेस एजेंसी का गठन किया है जो खास तौर से अंतरिक्ष में भारत के सैटेलाईट्स इत्यादि की सुरक्षा का दायित्व निभाएगी. ये स्पेस एजेंसी ट्राई-सर्विस होगी यानि इसमें वायुसेना और नौसेना के साथ साथ थलसेना के अधिकारी भी होंगे.‌ इसका मुख्यालय माना जा रहा है कि बेंगलुरू में होगा और फिलहाल जितने में सैटेलाइट इमेजरी सेंटर्स हैं वो सीधे इस स्पेस एजेंसी को रिपोर्ट करेंगे. वायुसेना का एक टू-स्टार ऑफिसर यानि एयर वाइस मार्शल रैंक का अधिकारी इसका मुखिया होगा. निकट भविष्य में इस एजेंसी को यूएस और चीन की तर्ज पर स्पेस कमांड भी बदल दिया जायेगा.