India China Soldiers Clash: भारतीय और चीनी सैनिकों की अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के नजदीक नौ दिसंबर को झड़प हुई, जिसमें ‘‘दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए.’’ भारतीय सेना के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में दोनों पक्षों के बीच 30 महीने से अधिक समय से जारी सीमा गतिरोध के बीच पिछले शुक्रवार को संवेदनशील क्षेत्र में LAC पर यांग्त्से के पास झड़प हुई.


भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया. इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं.’’ सेना ने ये भी कहा, ‘‘दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए. इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग मीटिंग’ की.’’ सेना के छह जवानों को गुवाहाटी के अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एबीपी न्यूज के सूत्रों के मुताबिक, झड़प में चीनी पक्ष के 20 सैनिक घायल हुए हैं. इस झड़प की खबर सामने आने के बाद विपक्ष हमलावर हो गया है. 



  1. सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का जिक्र नहीं किया गया. तवांग सेक्टर में LAC पर क्षेत्रों को लेकर दोनों पक्षों की 'अलग-अलग धारणा' है. सेना ने कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में LAC से सटे अपने दावे वाले कुछ क्षेत्रों में दोनों पक्ष गश्त करते हैं. यह सिलसिला 2006 से जारी है.’’

  2. माना जाता है कि झड़प में घायल हुए चीनी सैनिकों की संख्या काफी अधिक हो सकती है. पूर्वी लद्दाख में रिनचेन ला के पास अगस्त 2020 के बाद से भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच यह पहली बड़ी झड़प है. भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले साल अक्टूबर में भी यांग्त्से के पास एक संक्षिप्त टकराव हुआ था और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद इसे सुलझा लिया गया था.

  3. जून 2020 में गलवान घाटी में भीषण संघर्ष के बाद भारत और चीन के बीच संबंधों में काफी तल्खी आ गई थी. दोनों पक्षों ने LAC पर धीरे-धीरे हजारों सैनिकों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी. पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद, भारतीय सेना ने पूर्वी थिएटर में LAC पर अपनी अभियानगत क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाया है. पूर्वी थिएटर में बड़े पैमाने पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में LAC से लगते सीमावर्ती क्षेत्र शामिल हैं तथा सीमांत क्षेत्रों में तवांग और उत्तरी सिक्किम क्षेत्र सहित कई संवेदनशील अग्रिम स्थान हैं. 

  4. सैन्य अधिकारियों ने कहा कि सेना ने एक प्रभावी निगरानी तंत्र स्थापित किया है और पिछले दो वर्षों में क्षेत्रों की समग्र निगरानी में काफी सुधार हुआ है. सितंबर में, सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राणा प्रताप कलिता ने कहा था कि भारतीय सेना LAC पर पीएलए की गतिविधियों की लगातार निगरानी कर रही है और किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है. पांच मई, 2020 को शुरू हुए पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद भारत लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी LAC के निकट बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी ला रहा है.

  5. वहीं ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की घटना को लेकर केंद्र सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का सोमवार को आरोप लगाया. ओवैसी ने कहा कि वह इस मुद्दे पर 13 दिसंबर को संसद में स्थगन प्रस्ताव पेश करेंगे.

  6. हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सिलसिलेवार ट्वीट में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ‘कमजोर राजनीतिक नेतृत्व’ ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है. ओवैसी ने ट्वीट किया, ‘‘अरुणाचल प्रदेश से आ रही खबरें परेशान करने वाली और चिंताजनक हैं. भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच एक बड़ी झड़प हुई और सरकार ने देश को कई दिनों तक अंधेरे में रखा. जब संसद का सत्र चल रहा था तो उसे सूचित क्यों नहीं किया गया.’’

  7. एक अन्य ट्वीट में एआईएमआईएम नेता ने कहा, ‘‘सेना किसी भी वक्त चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. मोदी के नेतृत्व में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है. इस पर संसद में तत्काल चर्चा की जरूरत है. मैं कल इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा.’’ओवैसी ने कहा कि घटना का विवरण अधूरा है और एक अन्य ट्वीट में पूछा, ‘‘झड़प का कारण क्या था? क्या गोलियां चलाई गई थीं या यह गलवान की तरह हुआ? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी स्थिति क्या है? चीन को एक कड़ा संदेश भेजने के लिए संसद सैनिकों को अपना सार्वजनिक समर्थन क्यों नहीं दे सकती है?’’

  8. कांग्रेस ने आरोप लगाया, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी छवि बचाने के लिए देश को खतरे में डाल रहे हैं. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह दावा भी कि कांग्रेस पिछले दो साल से सीमा पर चीन की हरकतों को लेकर सरकार को बार-बार जगाने की कोशिश की, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है.

  9. उन्होंने ट्वीट किया, 'भारतीय सेना के शौर्य पर हमें गर्व है. सीमा पर चीन की हरकतें पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं. पिछले दो साल से हम बार-बार सरकार को जगाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार केवल अपनी राजनीतिक छवि को बचाने के लिए इस मामले को दबाने में लगी है. इससे चीन का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है.' रमेश ने आरोप लगाया, 'देश से बड़ा कोई नहीं है, लेकिन मोदी जी अपनी छवि को बचाने के लिए देश को ख़तरे में डाल रहे हैं.'

  10. उन्होंने कहा, 'उत्तरी लद्दाख़ में घुसपैठ स्थायी करने की कोशिश में चीन ने डेपसांग में LAC की सीमा में 15-18 किलोमीटर अंदर 200 स्थायी शेल्टर बना दिए, पर सरकार चुप रही. अब यह नया चिंताजनक मामला सामने आया है.'