India China Border Dispute: एलएसी पर चीन की बढ़ती घुसपैठ और मिलिट्री ड्रिल को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना ने खास 'प्लान-190' तैयार किया है. अरूणाचल प्रदेश से सटी चीन सीमा पर भारतीय सेना इन दिनों इसी 'प्लान 190' पर काम कर रही है. इस प्लान के तहत भारतीय सेना को 'एग्रेसिव' यानि आक्रमक बनाया जा रहा है. आखिर क्या है सेना का ये प्लान-190, ये जानने के लिए एबीपी न्यूज की टीम पहुंची अरूणाचल प्रदेश के बूमला बॉर्डर-पोस्ट पर. बूमला भारतीय सेना की अरूणाचल प्रदेश में आखिरी चौकी है.


इस प्लान के तहत चीन सीमा से सटी एलएसी पर तैनात हर सैनिक को रोज 190 मिनट की एक खास ड्रिल से गुजरना पड़ता है. इस प्लान के तहत 14-15 हजार फीट की उंचाई पर सैनिक 140 मिनट की फिजिकल एक्सरसाइज करते हैं, जिसमें पुश-अप और मार्शल आर्ट शामिल है. इसके बाद 40 मिनट के एग्रेसिव-बिहेवियर से गुजरना पड़ता है. इसके तहत दुश्मन के पुतले पर बेयोनट यानि राईफल के आगे लगी कटार से जोरदार हमला करना, टायर को उठाना, पटकना और हथोड़े से पीटना शामिल है. इसके अलावा लकड़ी के गठ्ठर को कुल्हाडी से तेजी से दो फाड़ करना शामिल है.


भारतीय सेना की तवांग-ब्रिगेड (जिसे कोरिया ब्रिगेड के नाम से भी जाना जाता है) के कमांडर ब्रिगेडियर विजय जगताप ने बताया कि इस प्लान का मकसद एलएसी पर तैनात सैनिकों को एग्रेसिव बनाना है. यानि अगर दुश्मन से सामना हो तो भारतीय सैनिक उनपर टूट पड़े. खुद भारतीय सेना की पूर्वी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे कह चुके हैं कि अगर एलएसी पर चीन ने अपनी हरकतें बंद नहीं की तो भारतीय सेना 'एग्रेसिव-पोस्चर' अपना सकती है.


इंटीग्रेटेड डिफेंसिव लोकेशन इस प्लान का एक मुख्य हिस्सा है. इसके तहत एलएसी की उंची चोटियों पर भारतीय सेना ने द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह बंकर बनाए हैं. लेकिन इन बंकरों में सिर्फ इंफेंट्री सैनिक ही तैनात नहीं होते हैं बल्कि आधुनिक कम्युनिकेशन सेंटर से लेकर सर्विलांस रूम और आर्टलरी यानि तोप का कमांड सेंटर भी अंदर ही होता है. खुद एबीपी न्यूज की टीम इन बंकर्स के अंदर गई और देखा कि इन बंकर्स से मॉर्डन वॉरफेयर कैसे लड़ी जाती है. बंकर के अंदर एचएचटीआई कैमरा की लाइव फीड, वीडियो स्ट्रीमिंग और इंटीग्रेटेड बैटल फील्ड प्लान सिस्टम लगा है, जो एलएसी पर चीन की हर हरकत पर नजर रखते हैं.


बंकर के भीतर ही एबीपी न्यूज की टीम की मौजूदगी में भारतीय सेना के अफसर ने बताया कि फॉरवर्ड लोकेशन पर तैनात तोपों को कैसे यहां से युद्ध की स्थिति में निर्देश दिया जाता है. इसके बाद एबीपी न्यूज की टीम पहुंची उस फॉरवर्ड लोकेशन पर जहां तोप तैनात हैं. सुरक्षा कारणों से हम आपको एलएसी की इस लोकेशन का नाम नहीं बता सकते हैं. यहां बोफोर्स तोप और हाल ही में अमेरिका से ली गई अल्ट्रा लाइट होवित्जर, एम-777 तैनात थीं.


बोफोर्स तोप और एम-777 अल्ट्रा लाइट होवित्जर के बाद बारी थी एंटी-एयरक्राफ्ट गन्स की. करीब 30-40 साल पहले स्वीडन से ली गई एल-70 एडी-गन को हाल ही भारतीय सेना ने अपग्रेड कर एंटी-ड्रोन गन में तब्दील कर दिया है. कैसे इन एडी गन्स को 'ड्रोन किलर' में तब्दील कर दिया गया है, खुद बताया एडी कमांडर, कैप्टन सरिया अब्बासी ने. एलएसी पर ड्रोन के बढ़ते खतरों को देखते हुए ही भारतीय सेना ने इन एल-70 गन्स को एलएसी के करीब तैनात किया है. 


भारतीय सेना के प्लान-190 का उद्देश्य  'किल और बी किल्ड' है यानि या तो दुश्मन का संहार या फिर लड़ते हुए शहादत. इसके लिए भारतीय सेना की इंटाग्रेटेड डिफेंसिव लोकेशन से एक खास युद्धभ्यास को अंजाम दिया गया. ये लोकेशन एलएसी से महज़ ढाई किलोमीटर की दूरी पर थी. अचानक ही बम और गोलों की आवाज सुनाई देने लगी. मिलिट्री-ड्रिल में एक ऐसा वॉर सिनेरियो तैयार किया गया, जिसमें दुश्मन के टैंक और मैकेनाइजड कॉलम भारतीय सीमा में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. ऐसे में कई बंकरों को एक साथ मिलाकर तैयार की गई इंटीग्रेटेड डिफेंसिव लोकेशन से दुश्मन के टैंक और आईसीवी यानी इंफेंट्री कॉम्बेट व्हीकल्स को कैसे तबाह करने का युद्धाभ्यास किया गया.


मिलिट्री ड्रिल के दौरान भारतीय सैनिक ट्रेंच यानि खंदक की आड़ लेकर मोर्टार से लेकर एंटी-टैंक गाईडेड मिसाइल यानि एटीजीएम दाग रहे हैं. इंफेंट्री सैनिक अपनी लोकेशन बदल बदल कर दुश्मन सैनिकों पर फायरिंग कर रहे है.


करीब 15 हजार फीट की उंचाई पर बूमला सेक्टर की असम-हिल से दिखाया गया कि भारतीय सेना एक इंच जमीन पर दुश्मन को नहीं देने देगी. वॉर गेम में ये भी दिखाया गया कि अगर दुश्मन हमारे किसी बंकर पर कब्जा कर भी लेता है तो उसे कैसे रि-कैप्चर यानि अपने कब्जे में करना है‌. उसके लिए भारतीय सैनिक ललकार के साथ दुश्मन पर टूट पड़ते हैं.


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