नई दिल्ली: भारत और चीनी सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बातचीत 12 अक्टूबर को प्रस्तावित है. इस बातचीत का एजेंडा पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले स्थानों से सैनिकों को पूर्ण रूप से हटाए जाने के लिए एक रूपरेखा तैयार करना है. वार्ता के दौरान दोनों पक्षों द्वारा जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखने और क्षेत्र में तनाव उत्पन्न करने वाली कार्रवाई से बचने के लिए और कदमों पर गौर किए जाने की उम्मीद है.


बातचीत के दौरान भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई भारतीय सेना के लेह स्थित 14 कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे और विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं. लेफ्टिनेंट जनरल पीजी के मेनन भी भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा होंगे.


पिछली बैठकों में क्या हुआ था
21 सितंबर को हुई सैन्य स्तर की वार्ता के पिछले दौर के बाद दोनों पक्षों ने कुछ निर्णयों की घोषणा की थी जिसमें और सैनिकों को अग्रिम मोर्चे पर नहीं भेजने, एकतरफा रूप से जमीनी स्थिति को बदलने से बचने और ऐसे कार्यों को करने से बचने की बात कही गई थी जो आगे मामले को जटिल कर सकते हैं. यह वार्ता सीमा पर लंबे समय से जारी टकराव को दूर करने के लिए पांच सूत्री द्विपक्षीय समझौते के क्रियान्वयन पर केंद्रित रही थी. गत 10 सितंबर को मास्को में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच यह समझौता हुआ था.


पांच सूत्री समझौते का लक्ष्य तनावपूर्ण गतिरोध को खत्म करना है जिसके तहत सैनिकों को शीघ्र वापस बुलाना, तनाव बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचना, सीमा प्रबंधन पर सभी समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करना और एलएसी पर शांति बहाली के लिए कदम उठाने जैसे उपाय शामिल हैं.


विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव भी ले सकते हैं हिस्सा
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव नवीन श्रीवास्तव ने परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) वार्ता में भारतीय पक्ष का नेतृत्व किया था और उन्होंने 21 सितंबर को हुई सैन्य वार्ता में भी भाग लिया था. वह कोर कमांडर स्तर की सातवें दौर की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो सकते है.


चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 29 अगस्त से आठ सितंबर के बीच पैंगोंग झील के दक्षिणी और उत्तरी तट पर भारतीय सैनिकों को 'धमकाने' के लिए कम से कम तीन बार कोशिश की है. यहां तक कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर 45 साल में पहली बार हवा में गोलियां चलाई गईं. तनाव बढ़ने पर दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की 10 सितंबर को मास्को में बैठक हुई थी जहां वे पूर्वी लद्दाख में स्थिति को शांत करने के लिए पांच सूत्री समझौते पर पहुंचे थे.


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