India-Canada Row: भारत और कनाडा के बीच खालिस्तानी आतंकियों को लेकर तनातनी चल रही है. एक तरफ कनाडा इन आतंकियों को शरण दे रहा है तो वहीं भारत इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहा है. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारत पर लगाया तो भारत ने सख्ती दिखाते हुए कनाडा का वीजा प्रतिबंधित कर दिया. इन सब के बीच कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों के खिलाफ कई बार सबूत पेश किए गए लेकिन ट्रूडो सरकार इनको शरण देती रही.


हिदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत ने खुफिया जानकारी के आधार पर कई बार कनाडा को खालिस्तानियों की जानकारी दी लेकिन कनाडा सरकार का ढुलमुल रवैया ही देखने को मिला. साल 2014 के बाद भी देश की सुरक्षा एजेंसियों ने ओटावा के समकक्षों को जानकारी दी थी लेकिन ओटावा ने कहा कि उन्हें भारत से खुफिया जानकारी नहीं मिल सकी क्योंकि वहां कोई संस्थागत तंत्र नहीं था और वह खुफिया जानकारी सबूत नहीं थी.


इसके बाद साल 2020 में एनआईए ने एफबीआई-आरसीएमपी प्रोटोकॉल के तहत एक एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद भी कुछ नहीं बदला क्योंकि जस्टिन ट्रूडो सरकार वोट बैंक की राजनीति के लिए खालिस्तानियों का समर्थन करती रही.


भारतीय एजेंसियों ने दिया डोजियर


भारतीय खुफिया विभाग के हालिया खुलासों से कनाडा में सक्रिय खालिस्तान आतंकी नेटवर्क की मौजूदगी पर चिंताएं सामने आई हैं. भारतीय अधिकारियों ओर से दिया गया डोजियर कई कनाडाई नागरिकों की पहचान करता है जो कथित तौर पर प्रतिबंधित इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन (आईएसवाईएफ) और खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) से जुड़े हुए हैं.


गुजरजीत सिंह चीमा


भारतीय खुफिया जानकारी के मुताबिक, मूल रूप से पंजाब का रहने वाला 50 वर्षीय कनाडाई नागरिक गुरजीत सिंह चीमा एक आईएसवाईएफ और केएलएफ का सदस्य है जो टोरंटो में 'सिंह खालसा सेवा क्लब' से सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है. चीमा फिलहाल ब्रैम्पटन, ओंटारियो में रहता है और एक ट्रक ड्राइवर के रूप में काम करता है.


कहा जाता है कि साल 2017 में चीमा भारत आया था और इस दौरान एक मॉड्यूल संचालित किया था. भारत आने के बाद उस पर गुरप्रीत सिंह बराड़ और सुखमनप्रीत सिंह को प्रेरित करके कट्टरपंथी बनाने का आरोप लगा. डोजियर से ये भी पता चलता है कि चीमा ने सरबजीत सिंह को मॉड्यूल में शामिल होने का लालच दिया था. इस दौरान वह अपने गुर्गों के लिए लोकल पिस्टल और फंड जुटाने का काम भी कर रहा था. मई 2017 में उसने पाकिस्तान से भी हथियार मंगवाए थे.


गुरजिंदर सिंह पन्नू


इसके अलावा डोजियर में गुरजिंदर सिंह पन्नू का नाम भी लिया गया है. पन्नू फिलहाल ईस्ट हैमिल्टन, ओंटारियो में रहता है और आईएसवाईएफ और केएलएफ का सदस्य के रूप में काम कर रहा है. वो टोरंटो में 'सिंह खालसा सेवा क्लब' से भी सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है.


डोजियर के अनुसार, पन्नू पर आरोप है कि उसने मार्च 2017 में भारत में ISYF मॉड्यूल सदस्यों को लोकल हथियार खरीदने और उनकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए फंड मुहैया कराया था. उस पर भारत में मॉड्यूल सदस्यों को लोकल हथियारों की डिलीवरी की सुविधा के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में बलकार सिंह नामक व्यक्ति को धन भेजने का भी आरोप है. चीमा की तरह पन्नू पर भी पाकिस्तान से हथियार मंगवाने का आरोप लगा है.


गुरप्रीत सिंह बरार


डोजियर के मुताबिक, 38 साल का गुरप्रीत सिंह बरार कई खालिस्तान समर्थकों में से एक है. उसके पास कनाडा का पासपोर्ट है जिसका नंबर एच182001 है. फिलहाल वो ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में रहता है और सिंह खालसा क्लब से जुड़ा हुआ है. इसी क्लब का चीमा भी सदस्य है. डोजियर से संकेत मिलता है कि बराड़ और चीमा सतपाल सिंह की देखरेख में पंजाब में सिंह खालसा सेवा क्लब डगरू नाम के एक उप-क्लब बनाने में शामिल थे. मार्च 2016 में अपनी भारत यात्रा के दौरान, गुरप्रीत सिंह पर व्यक्तियों को आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए प्रेरित करने का आरोप है.


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